भारतीय रेलवे ने गति और सुरक्षा के मामले में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कोडरमा में वंदे भारत एक्सप्रेस का 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अभूतपूर्व गति से सफल ट्रायल किया गया। यह ट्रायल गया से सरमाटांड़ स्टेशन के बीच आयोजित किया गया, जिसमें ‘कवच प्रणाली’ युक्त वंदे भारत ट्रेन ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। इस उपलब्धि से पूर्व मध्य रेल के विकास को नई दिशा मिलेगी और राजधानी, दुरंतो जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों के परिचालन के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे।
लगभग 88 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर हुए इस महत्वपूर्ण परीक्षण में पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक, प्रधान मुख्य संकेत एवं दूरसंचार अभियंता हाजीपुर, और डीडीयू-धनबाद मंडल के अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई। वर्तमान में दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की अधिकतम गति 130 किमी प्रति घंटा है, लेकिन अब इस रूट पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। गया जंक्शन से प्रधानखंटा तक भी इसी रफ्तार से ट्रेन संचालन की तैयारियां की जा रही हैं।
इस हाई-स्पीड ट्रायल की एक खास बात यह रही कि इसमें इटली की एक तकनीकी टीम भी शामिल हुई, जिसने परीक्षण प्रक्रिया की सराहना की। इससे भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। ट्रायल की शुरुआत दो दिन एकल इंजन से, फिर 10 एचएलबी कोच वाली एमटी रेक से और अंत में वंदे भारत के एमटी रेक के साथ स्पीड ट्रायल किया गया।
इस हाई-स्पीड प्रोजेक्ट का नेतृत्व चीफ कम्युनिकेशन इंजीनियर अजीत कुमार और उपमुख्य अभियंता (संकेत एवं दूरसंचार) राजेश कुमार कुशवाहा ने किया। धनबाद मंडल के सीनियर डीओएम अंजय तिवारी, डीडीयू मंडल के सीनियर डीओएम केशव आनंद, और दानापुर मंडल के सुधांशु रंजन का भी इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस ट्रायल की सफलता से यात्रियों को जल्द ही तेज, सुरक्षित और आधुनिक ट्रेन यात्रा का अनुभव मिलने की उम्मीद है। 160 किमी प्रति घंटा की गति भारतीय रेलवे के लिए एक बड़ी छलांग है, और भविष्य में यह गति 200 किमी प्रति घंटा तक भी पहुंच सकती है, जिससे यात्रा का अनुभव विमान यात्रा जैसा हो जाएगा। रेलवे सूत्रों के अनुसार, घाट सेक्शन में 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इसके लिए रेलवे ने हावड़ा से दिल्ली तक ट्रैक के दोनों ओर सुरक्षा दीवारें भी बना दी हैं, ताकि मवेशी या लोग ट्रैक पार न कर सकें।