पश्चिमी घाट की धुंध भरी पहाड़ियों में बसा कूर्ग, जिसे कोडगू के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक ऐसा छिपा हुआ रत्न है जिसे अक्सर ‘भारत का स्कॉटलैंड’ कहा जाता है। ब्रिटिश काल के दौरान, यहाँ के हरे-भरे पहाड़, विशाल कॉफी बागान और सुहावना मौसम स्कॉटलैंड की याद दिलाते थे, जिसने इसे यह खास उपनाम दिलाया। यह खूबसूरत हिल स्टेशन सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी समृद्ध जैव विविधता, पवित्र कावेरी नदी के उद्गम स्थल और अनोखी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है।

कूर्ग की पहचान उसके शांत वातावरण और मनमोहक दृश्यों से है। यहाँ की पहाड़ियों पर छाई रहने वाली धुंध, हरे-भरे घाटियाँ और कॉफी की महक पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मदिकेरी, जो कूर्ग का मुख्यालय है, ‘कॉफी बाउल ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है, जहाँ अरेबिका और रोबस्टा दोनों तरह की कॉफी का उत्पादन होता है।
यह क्षेत्र पश्चिमी घाट का हिस्सा है, जो दुनिया के सबसे बड़े जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है। यहाँ हजारों दुर्लभ प्रजातियों के पौधे और जीव पाए जाते हैं। पवित्र कावेरी नदी की उत्पत्ति ब्रह्मगिरि पहाड़ियों के तलकावेरी से होती है, जो पूरे दक्षिण भारत के लिए जीवन रेखा है।
कूर्ग के मूल निवासी, कोडवा समुदाय, अपनी वीरता और सैन्य पराक्रम के लिए जाने जाते हैं। भारत में कोडवा पुरुषों को एक विशेष सुविधा प्राप्त है – उन्हें हथियार लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। उनकी पारंपरिक वेशभूषा भी काफी खास है, जिसमें पुरुष ‘कुप्य’ और महिलाएं साड़ी पहनती हैं, जिसकी प्लीट्स पीछे की ओर होती हैं।
कूर्ग कर्नाटक का सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक क्षेत्र है और भारतीय कॉफी उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यहाँ की ऊंचाई और छायादार कॉफी बागानों में कॉफी के दाने धीरे-धीरे पकते हैं, जिससे उनका स्वाद और सुगंध गहरा होता है। यहाँ की लेटराइट मिट्टी, जो लोहा और एल्यूमीनियम से भरपूर है, कॉफी और इलायची की खेती के लिए आदर्श है।
कूर्ग में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है, जहाँ गर्मियों में भारी वर्षा होती है, जो सदाबहार जंगलों और कॉफी बागानों को हरा-भरा रखती है। विरजापेट, जो कभी एशिया के सबसे बड़े शहद उत्पादक क्षेत्रों में से एक था, कूर्ग में ही स्थित है।
इसके अलावा, कूर्ग भारत का दूसरा सबसे बड़ा तिब्बती बस्ती, बायलकुप्पे का घर है, जहाँ प्रसिद्ध नामड्रोलिंग मठ (गोल्डन टेंपल) स्थित है। जिले की सबसे ऊंची चोटी, तडिआंडमोल (1,748 मीटर), ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
कूर्ग सिर्फ एक खूबसूरत हिल स्टेशन नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र, कॉफी का स्वर्ग और संस्कृति व परंपराओं का भंडार है। इसकी लुभावनी पहाड़ियाँ, सुखद जलवायु और समृद्ध विरासत इसे ‘भारत का स्कॉटलैंड’ का खिताब पूरी तरह से सार्थक बनाती है।






