केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई, 2025 को फांसी दी जानी है, क्योंकि उन्हें 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया था। यह मामला शुरू से ही कानूनी और राजनयिक जटिलताओं से घिरा हुआ है। भारतीय सरकार के प्रयासों के बावजूद, कोई खास सफलता नहीं मिली है। निमिषा के कानूनी विकल्प अब लगभग समाप्त हो चुके हैं। नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम न्यायिक परिषद ने भी उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा था। उनकी क्षमा की आखिरी उम्मीद ‘दिया’ (खून का मुआवजा) पर टिकी है, जिसके लिए समय सीमित है। निमिषा 2008 में अपने परिवार के साथ यमन गईं, और बाद में परिवार का वित्तीय प्रबंधन करने के लिए वहीं रुक गईं। 2014 में, उन्होंने एक क्लिनिक खोला, जिसमें तालाल अब्दो महदी को साझेदार बनाया। निमिषा ने दावा किया कि महदी ने उन्हें परेशान किया और उनका पासपोर्ट छीन लिया। 2017 में, उन्होंने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए उसे दवा दी, जिससे उसकी मौत हो गई। भारत सरकार इस मामले में शामिल रही है, लेकिन हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र के कारण उसे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ‘दिया’ के माध्यम से समझौता करने के प्रयास भी सफल नहीं हुए हैं। अब, निमिषा का भाग्य पीड़ित के परिवार द्वारा ‘दिया’ स्वीकार करने पर निर्भर है।
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यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रही केरल की नर्स: भारत के पास क्या कानूनी विकल्प हैं?
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