जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) के बाद, अब संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने भी अपना नेटवर्क पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब से हटाकर खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। खुफिया रिपोर्टों और 22 सितंबर को सामने आई तस्वीरों व वीडियो से पता चला है कि लश्कर लोअर दिर जिले के कुंबन मैदान क्षेत्र में नया आतंकी प्रशिक्षण और ठहराव केंद्र ‘मरकज़ जिहाद-ए-अक़्सा’ बना रहा है। यह स्थान अफगानिस्तान की सीमा से केवल 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सूत्रों के अनुसार, इस नए केंद्र का निर्माण जुलाई 2025 में, ऑपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद शुरू हुआ। अब तक पहली मंजिल का ढांचा खड़ा हो चुका है और छत डालने का काम चल रहा है। यह केंद्र लगभग 4,600 वर्ग फुट क्षेत्र में बनाया जा रहा है और इसके ठीक बगल में लश्कर की नई बनी जामिया अहले सुन्नत मस्जिद स्थित है। लश्कर की पुरानी रणनीति रही है कि मस्जिदों और धार्मिक संस्थानों की आड़ में आतंक का ढांचा खड़ा किया जाए।
इस केंद्र की कमान नसर जावेद को सौंपी गई है, जो 2006 हैदराबाद ब्लास्ट का सह-साजिशकर्ता और लश्कर का पुराना ऑपरेटर है। इसके अलावा मुहम्मद यासीन उर्फ बिलाल भाई को जिहादी विचारधारा की शिक्षा और अनसुल्लाह खान को हथियार प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। केंद्र में दो प्रमुख कोर्स दौर-ए-ख़ास और दौर-ए-लश्कर चलाने की योजना है। यह कैंप लश्कर की जान-ए-फिदाई फिदायीन यूनिट का नया अड्डा बनेगा क्योंकि भारतीय सेना ने मई 2025 में भींबर-बरनाला स्थित इसके पुराने केंद्र को ध्वस्त कर दिया था। रिपोर्टों के मुताबिक, लोअर दिर में हिज़बुल मुजाहिदीन ने भी नया कैंप HM-313 स्थापित किया है और जैश-ए-मोहम्मद ने मनसेहरा में विस्तार किया है। सूत्रों के अनुसार, यह सब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के निर्देशन में हो रहा है, ताकि आतंकी ढांचे को भारत की नजरों से बचाया जा सके। पाकिस्तानी सेना ने जून 2025 में लोअर दिर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ सैन्य अभियान चलाकर इलाके को लश्कर और HM के लिए सुरक्षित बनाया। इस कार्रवाई में 24 से अधिक TTP आतंकी मारे गए, जिसके तुरंत बाद लश्कर ने नया केंद्र बनाना शुरू कर दिया।
हालांकि पाकिस्तानी सेना और वायुसेना ने इसे ‘आतंकवाद विरोधी अभियान’ बताया, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह वास्तव में भारत-विरोधी आतंकी संगठनों के लिए जमीन तैयार करने का प्रयास था। अगस्त 2025 में खुद पाकिस्तान के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ‘अच्छे और बुरे आतंकवाद’ की नीति पर चलता है। भारतीय सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि भले ही लश्कर का नया कैंप सीमा से दूर हो, लेकिन अगर भारत की सुरक्षा को खतरा हुआ तो भारतीय सेना के पास इन ठिकानों को भी निशाना बनाने की क्षमता मौजूद है।
लोअर दिर में बन रहा मरकज़ जिहाद-ए-अक़्सा दिसंबर 2025 तक तैयार हो सकता है। यह न केवल लश्कर-ए-तैयबा की नई भर्ती और आतंकी प्रशिक्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि यह पाकिस्तान की पुरानी रणनीति को भी उजागर करता है – अपने राज्य विरोधी आतंकियों को खत्म करना और भारत-विरोधी संगठनों को संरक्षण देना।