महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, जिससे मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने हाल ही में बताया कि मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को अब आरक्षण मिलेगा। हालांकि, ओबीसी के कई नेताओं ने फडणवीस सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। ओबीसी के प्रमुख नेता और राज्य मंत्री छगन भुजबल कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिससे यह माना जा रहा है कि सरकार के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
ओबीसी नेता लक्ष्मण हाके ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने का कोई अधिकार नहीं है और ओबीसी समुदाय इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा। वहीं, बीजेपी के विधान परिषद सदस्य परिणय फुके ने दावा किया कि सरकार ने कैबिनेट के सभी सदस्यों को विश्वास में लेने के बाद ही मराठा आरक्षण पर सरकारी आदेश जारी किया है। ओबीसी नेता प्रकाश शेंडगे ने कहा कि छगन भुजबल के नेतृत्व में ओबीसी नेताओं की बैठक हुई, जिसमें मराठा आरक्षण का विरोध करने का फैसला किया गया। उनका कहना है कि मराठाओं को आरक्षण देने से पहले ओबीसी समाज के 50% आरक्षण को सुरक्षित रखा जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हैदराबाद गजेटियर के आधार पर आरक्षण दिया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
मनोज जरांगे, जिन्होंने भूख हड़ताल की थी, ने कहा कि उन्होंने बड़ी जीत हासिल की है और इसका श्रेय मराठा समुदाय को जाता है। छगन भुजबल के कैबिनेट में शामिल न होने पर जरांगे ने कहा कि वह एक चतुर नेता हैं, जिसका मतलब है कि मराठा समुदाय आरक्षण पाने में सफल रहा है।
इससे पहले, मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन किया था, जिसे सरकार द्वारा उनकी मांगों को स्वीकार करने के बाद वापस ले लिया गया। सरकार ने पात्र मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने और उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार करने का फैसला किया, जिससे मराठा ओबीसी आरक्षण लाभ के पात्र हो जाएंगे।