अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कई वादे किए थे, लेकिन वे उन्हें पूरा करने में असफल रहे। अब, दुनिया यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर देख रही है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से लेकर यूरोपीय संघ (ईयू) तक के नेता पीएम मोदी को उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं।
एससीओ मंच पर दुनिया ने जो देखा, उससे संदेश स्पष्ट था कि यदि यूक्रेन में युद्धविराम और शांति चाहिए, तो भारत इसका सूत्रधार हो सकता है। पीएम मोदी ही शांति दूत हो सकते हैं। गुरुवार को पेरिस में यूरोपीय नेताओं की जेलेंस्की के साथ यूक्रेन में शांति पर चर्चा के दौरान, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर ने पीएम मोदी से टेलीफोन पर बात की।
ईयू ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि रूस को युद्ध समाप्त करने और शांति स्थापित करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है और वे यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ भारत के निरंतर सहयोग का स्वागत करते हैं। ईयू ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के वैश्विक सुरक्षा पर परिणाम होंगे, जिससे आर्थिक स्थिरता कमजोर होगी, जिससे पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा होगा। पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए नई दिल्ली के निरंतर समर्थन को दोहराया है।
यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा भारत दौरे पर हैं। गुरुवार को उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात हुई। बातचीत के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत इस संघर्ष को जल्द समाप्त करने और स्थायी शांति की स्थापना का समर्थन करता है।
हाल के हफ्तों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ज़ेलेंस्की ने संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए पीएम मोदी से फोन पर बात की। इस हफ्ते चीन में एससीओ मीटिंग के दौरान पीएम मोदी और पुतिन के बीच हुई मुलाकात में भी यह मुद्दा उठा था।
भारत ने 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं की है, लेकिन संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए बार-बार रूस और यूक्रेन के बीच सीधी बातचीत का आह्वान किया है। पीएम मोदी ने पुतिन और ज़ेलेंस्की से यह भी कहा है कि युद्ध के मैदान में कोई समाधान नहीं निकल सकता और बंदूक के साये में बातचीत सफल नहीं होगी।
पश्चिमी दबाव के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखे हैं। हालांकि, पीएम मोदी ने कभी-कभी व्लादिमीर पुतिन के युद्ध की आलोचना की है, लेकिन वे आक्रामक लहजे से भी बचते रहे हैं। भारत ने रूस के साथ अपनी विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया है।
पीएम मोदी शांति स्थापना के प्रयासों में भी रुचि रखते रहे हैं और उन्होंने कई मौकों पर यूक्रेनी राष्ट्रपति से मुलाकात की है। संघर्ष शुरू होने के बाद से भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल के आयात में वृद्धि की है, साथ ही मानवीय सहायता के तहत यूक्रेन को चिकित्सा आपूर्ति, उपकरण और राहत सामग्री भी भेजी है। भारत ने यूक्रेन का समर्थन करने के लिए अन्य ठोस प्रयास भी किए हैं।
भारत पर पूरी दुनिया का फोकस है। पीएम मोदी विश्व शांति के लिए एक अहम सूत्रधार हैं, उन्होंने कहा है कि ‘ये वक्त युद्ध का नहीं’, वे कई मंचों से शांति की बात कर चुके हैं। पुतिन-ज़ेलेंस्की ने भी मोदी को अहम माना है। पीएम मोदी के पुतिन-ज़ेलेंस्की से अच्छे रिश्ते हैं। दुनिया पीएम मोदी की बात सुनती है। यूक्रेन जंग न रुकने से ट्रंप की किरकिरी हुई है। भारत-रूस-चीन के एक साथ आने से चिंता भी बढ़ी है।
पीएम मोदी बातचीत से समस्या का हल निकालने की बात करते हैं, क्योंकि उन्होंने खुद भारत और चीन सीमा विवाद का हल बातचीत से निकाला था। गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए थे, लेकिन पीएम मोदी ने संयम से काम लेते हुए चीन से बातचीत जारी रखी। दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत होती रही, जिसके बाद दोनों देश डिसइंगेजमेंट और डिएक्सलेशन पर राजी हुए।