आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में विदर्भ संस्कार भारती के एक कार्यक्रम में शिरकत की। यह दौरा आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया था। भागवत ने हेडगेवार स्मृति भवन में अपने संबोधन में कहा कि हमारे यहां कला सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होती, बल्कि इसका उद्देश्य सत्यम शिवम सुंदरम की भावना को व्यक्त करना है, जो हिंदू दर्शन का सार है। उन्होंने कहा कि कला का उद्देश्य संस्कार करना है और संस्कृति संस्कारों से ही बनती है। इस अवसर पर, विदर्भ संस्कार भारती द्वारा 101 दिवंगत संघ प्रचारकों और कार्यकर्ताओं को कला अभिवादन के रूप में पोट्रेट रंगोली और पुस्तिकाएं समर्पित की गईं।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष को एक साल तक मनाया जाएगा, जिसमें संघ के कार्यों और बलिदानों को याद किया जाएगा। संघ के स्वयंसेवक विभिन्न संगठनों में मिलकर शताब्दी के कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
आरएसएस इस साल दशहरे से अपने 100 साल पूरे होने का जश्न मनाएगा। 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक पूरे देश में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य संघ की 100 साल की यात्रा, वर्तमान चुनौतियों और उनके समाधानों को समाज के सामने प्रस्तुत करना है। ये कार्यक्रम स्थानीय स्तर से लेकर प्रांतीय स्तर तक आयोजित किए जाएंगे, जिनकी शुरुआत पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के पहले दिन से हो चुकी है।