संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के पहले दिन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ का निर्माण भारत को केंद्र में रखकर हुआ है और इसकी सार्थकता भारत को विश्वगुरु बनाने में है। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य ‘भारत माता की जय’ के आह्वान से प्रेरित है और संघ के उत्थान की प्रक्रिया धीमी और निरंतर जारी रही है। भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ का मूल सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ है, और यह गांव, समाज और राष्ट्र को अपना मानता है। संघ का कार्य पूरी तरह स्वयंसेवकों द्वारा संचालित होता है, जो नए कार्यकर्ताओं को तैयार करते हैं।
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ‘100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज’ विषय पर आयोजित इस तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का उद्देश्य समाज में संघ के बारे में सही जानकारी पहुंचाना है। भागवत ने बताया कि इस बार चार स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों तक संघ का सही स्वरूप पहुंच सके। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद देश में उपजी विचारधाराओं के विकास पर भी बात की, जिसमें 1857 की असफल कोशिश से लेकर कांग्रेस के उदय और स्वतंत्रता के बाद वैचारिक चुनौतियों का जिक्र किया।
भागवत ने हिंदू शब्द के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव है। उन्होंने कहा कि हिंदू का अर्थ समावेश है और इसकी कोई सीमा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का स्वभाव समन्वय का है, संघर्ष का नहीं, और भारत की एकता का रहस्य भूगोल, संसाधनों और आत्मचिंतन की परंपरा में है। भागवत ने कहा कि भारत माता और अपने पूर्वजों को मानने वाला ही सच्चा हिंदू है और भारत के लोगों का डीएनए एक है।
उन्होंने कहा कि संघ किसी विरोध या प्रतिक्रिया के लिए नहीं निकला है, और हिंदू राष्ट्र का सत्ता से कोई लेना देना नहीं है। संघ की कार्यप्रणाली के बारे में उन्होंने कहा कि संघ समाज उत्थान के लिए दो मार्ग अपनाता है – मनुष्यों का विकास करना और उनसे समाज कार्य कराना। संघ स्वयंसेवकों के व्यक्तिगत समर्पण पर चलता है और गुरु दक्षिणा इसकी कार्यप्रणाली का अभिन्न हिस्सा है।
इस अवसर पर संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, उत्तर क्षेत्र संघचालक पवन जिंदल और दिल्ली प्रांत के संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल भी उपस्थित थे। इस तीन दिवसीय आयोजन में सेवानिवृत न्यायाधीश, पूर्व राजनयिक, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न देशों के राजनयिक, मीडिया संस्थानों के प्रमुख, पूर्व सेनाधिकारी और खेल व कला क्षेत्र से जुड़ी हस्तियां भी शामिल हुईं।