मध्य प्रदेश में ‘एक बगिया मां के नाम’ नामक एक पहल के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया जा रहा है। राज्य सरकार स्व-सहायता समूहों की महिलाओं की आर्थिक प्रगति के लिए लगातार काम कर रही है। इसी क्रम में, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महात्मा गांधी नरेगा के तहत यह अभियान शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत, स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने अपनी निजी भूमि पर फलदार पौधे लगाए हैं। फलदार बगिया विकसित करने में खंडवा जिला सबसे आगे है, जबकि सिंगरौली दूसरे स्थान पर है।
इस परियोजना के अंतर्गत, 10,162 महिलाओं को स्वीकृति मिल चुकी है। सरकार इस पर 1000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जिसमें पौधों की सुरक्षा, बाड़ लगाना, पौधे खरीदना, खाद, गड्ढे खोदना और सिंचाई के लिए जल कुंड बनाना शामिल है।
इस परियोजना का लक्ष्य 31,300 महिलाओं को लाभान्वित करना है, लेकिन 40,406 महिलाओं ने पंजीकरण कराया है। इसमें सभी जिलों के 313 ब्लॉक की 9,662 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। प्रत्येक ब्लॉक से न्यूनतम 100 लाभार्थियों का चयन किया गया है। महिलाओं को वर्ष में दो बार प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
यह अभियान 15 अगस्त से शुरू हुआ और 15 सितंबर 2025 तक चलेगा। मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ड्रोन के माध्यम से पौधरोपण की निगरानी करेगा। पौधरोपण के लिए सिपरी सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से जमीन का चयन किया जा रहा है।
इस योजना के तहत 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाए जाएंगे, जो महिलाओं की आर्थिक समृद्धि में योगदान देंगे। पौधरोपण की निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड बनाया गया है। प्रदर्शन के आधार पर जिलों, जनपदों और ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा।
लाभ लेने के लिए महिलाओं के पास 0.5 से 1 एकड़ जमीन होनी चाहिए। खंडवा, सिंगरौली, बैतूल, देवास और आगर मालवा इस पहल में आगे हैं।