ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ फिर से प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। यह ऐलान सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून पर अंतरिम फैसला सुनाए जाने के बाद किया गया है। बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले से संतुष्ट नहीं है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 24 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना और गिरफ्तारी देने का फैसला किया है। इसके साथ ही बोर्ड ने मुसलमानों से अपील की है कि वे 26 सितंबर को अपने कार्यालयों और दुकानों को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक बंद रखें। बोर्ड ने मुसलमानों से ‘वक्फ संशोधन कानून हमें मंजूर नहीं’ के बोर्ड लगाने की भी अपील की है।
बोर्ड 16 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली आयोजित करेगा और राज्यों के गवर्नर हाउस का घेराव भी करेगा। बोर्ड ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने के लिए मुसलमानों से अपील की है। बोर्ड वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ राष्ट्रपति भवन तक मार्च भी करेगा, हालांकि, मार्च की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
वक्फ बोर्ड (संशोधन) अधिनियम-2025 संसद से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद लागू हो गया है। इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में हाल ही में अंतरिम फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पूरे वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, हालांकि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई गई है।
दरअसल, सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर पांच याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अंतिम फैसला आने तक अस्थायी रोक लगाई है।
कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है। इसमें एक प्रावधान है कि जो व्यक्ति 5 साल तक इस्लाम का पालन करता है, वही वक्फ संपत्ति दान कर सकता है। कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगा दी है। यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक राज्य इस बात का परीक्षण करने के लिए कानून नहीं बना लेते कि कोई व्यक्ति मुस्लिम है या नहीं।
कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 की धारा 3सी में किए गए प्रावधान पर भी रोक लगा दी है। इसमें कहा गया है कि कोई भी संपत्ति तब तक वक्फ नहीं मानी जाएगी जब तक एक कलेक्टर इस बात की रिपोर्ट नहीं देता कि वक्फ की घोषणा में किसी तरह का अतिक्रमण तो शामिल नहीं है।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 में यह भी प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में गैर-मुस्लिम भी शामिल होंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि वक्फ बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा 23 पर कोई रोक नहीं लगाई है। इस धारा में वक्फ बोर्डों के सीईओ की नियुक्ति का प्रावधान है। कोर्ट ने कहा है कि जहां तक संभव हो, इस पद पर किसी मुस्लिम को ही नियुक्त किया जाना चाहिए।