बिहार चुनाव की घोषणा से पहले, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नया अध्यक्ष चुनने की तैयारी कर रही है। पार्टी आलाकमान ने अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार की है। नौ सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद सलाह-मशविरे की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी, जिसके बाद अध्यक्ष चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है।
हालांकि, उससे पहले उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश से और गृह मंत्री अमित शाह गुजरात से राष्ट्रीय परिषद के सदस्य चुने जाने हैं। उनके निर्वाचन के बाद ही वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के नामांकन पत्र के लिए प्रस्तावक बन सकते हैं। बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम 19 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की इकाइयों के अध्यक्षों का चुनाव होना आवश्यक है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी आलाकमान जाति, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों के आधार पर अध्यक्ष का चयन नहीं करना चाहती। बल्कि, संगठन की मजबूती पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यक्ति को चुना जाएगा। यह भी बताया गया है कि कोई चौंकाने वाला नाम नहीं होगा, जिसका अर्थ है कि किसी अनुभवी नेता को ही अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी, जिसके पास राष्ट्रीय स्तर पर संगठन का अनुभव हो। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बीजेपी के अगले अध्यक्ष के नाम पर करीब 88 वरिष्ठ नेताओं से राय ली है। आरएसएस और बीजेपी में आम सहमति है कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की उम्र लगभग 60 साल होनी चाहिए। अगर किसी कारण से बिहार चुनाव से पहले नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाता है, तो यह बिहार चुनाव के बाद ही किया जाएगा। वर्तमान पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2020 में शुरू हुआ था और उन्हें दो बार कार्यकाल विस्तार मिल चुका है, एक 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले और दूसरा संगठनात्मक पुनर्गठन के कारण। बीजेपी ने मंडल स्तर पर भी इसी तरह के सुधार किए हैं, जिसमें अगली पीढ़ी के नेताओं को बढ़ावा देने के लिए 40 वर्ष की आयु सीमा तय की गई है। जिला और राज्य प्रमुखों के लिए उम्मीदवारों को कम से कम दस वर्षों तक बीजेपी का सक्रिय सदस्य होना आवश्यक है। यह कदम अन्य दलों से आए नेताओं को प्राथमिकता देने को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष को दूर करने के उद्देश्य से उठाया गया है।