पाकिस्तान की ड्रोन और मोर्टार हमलों का सामना करते हुए, बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के दो वीर जवानों, सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तेयाज और कांस्टेबल दीपक चिंगाखम, ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अदम्य साहस का परिचय दिया। गंभीर चोटों के बावजूद, सब-इंस्पेक्टर इम्तेयाज ने अपने साथियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, “जवानों, आज खत्म कर दो इनको!” इन वीर जवानों को उनके असाधारण शौर्य और नेतृत्व के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया है।
यह वीरगाथा 10 मई को जम्मू के खर्कौला सीमा चौकी (BOP) पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लिखी गई। यह ऑपरेशन 7 से 10 मई के बीच चलाया गया था और यह 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत, बीएसएफ की 7वीं बटालियन के जवानों को दुश्मन के नापाक मंसूबों का सामना करना पड़ा। जब पाकिस्तान की ओर से मोर्टार शेलिंग और ड्रोन हमले हुए, तब सब-इंस्पेक्टर इम्तेयाज अपनी बंकर से बाहर निकले और लाइट मशीन गन (LMG) का इस्तेमाल कर एक ड्रोन को मार गिराया। वहीं, कांस्टेबल दीपक चिंगाखम ने भी एलएमजी से दूसरे ड्रोन पर निशाना साधा। इसी दौरान, सीमा पार से दागा गया एक मोर्टार शेल उनके ठिकाने के पास फट गया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।
सब-इंस्पेक्टर इम्तेयाज को गंभीर चोटें आईं, लेकिन उन्होंने अपने सैनिकों को निर्देश देना और प्रेरित करना जारी रखा। अंततः, उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। कांस्टेबल चिंगाखम भी गंभीर रूप से घायल हुए और सीने में चोटें आईं, लेकिन उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया। अपने साथी को अकेला न छोड़ते हुए, उन्होंने भी अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी और शहादत प्राप्त की।
इन दोनों बहादुर जवानों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है, जो युद्ध के समय दिया जाने वाला तीसरा सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। ऑपरेशन सिंदूर में अपने असाधारण पराक्रम के लिए 16 अन्य बीएसएफ जवानों को भी पुलिस वीरता पदक से नवाजा गया।