उत्तर भारत में सर्दी के मौसम की शुरुआत से पहले, पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। अधिकांश भारतीय किसान फसल कटाई के बाद खेतों को खाली करने के लिए पराली जलाते हैं। लेकिन पर्यावरण पर इसके गंभीर प्रभावों के कारण, पंजाब सहित कई राज्य सरकारों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।
रविवार को पंजाब में पराली जलाने के 8 नए मामले सामने आए। इस साल अब तक सबसे ज्यादा 51 मामले अमृतसर से हैं। पराली जलाने के 47 मामलों में कार्रवाई करते हुए 225000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वहीं, 49 मामलों में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।
पंजाब सरकार पराली जलाने को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है, फिर भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। बता दें, किसानों के लिए खेत को साफ करने के लिए पराली जलाना सस्ता पड़ता है, जिसकी वजह से इसे रोकना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
32 मामलों में पराली जलाने वाले किसानों की जमीन के रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज की गई है। जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री होने पर किसान अपनी जमीन न तो बेच सकता है और न ही गिरवी रख सकता है या उस पर लोन ले सकता है।
पंजाब के कंट्रोल रूम सुपरवाइजर युग ने बताया कि सैटेलाइट विभिन्न सेंसरों के माध्यम से पराली जलाने की घटनाओं का पता लगाते हैं और हमारे अधिकारी डेटा की निगरानी करते हैं। संबंधित क्षेत्र के नोडल और क्लस्टर अधिकारी घटना के बारे में एसडीएम को सूचित करते हैं। एक टीम तुरंत मौके पर पहुंचती है और किसानों को पराली न जलाने की सलाह देती है।
उन्होंने कहा कि लगातार प्रयासों से किसान पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक हुए हैं और कई अब इस प्रथा से बच रहे हैं। हम उन्हें राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताते हैं, जो पराली जलाने के विकल्पों का समर्थन करती हैं।