पंजाब में बाढ़ और तबाही के बीच, राज्य सरकार ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक की, जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए। इन फैसलों का सीधा लाभ बाढ़ प्रभावितों और किसानों को मिलेगा। सरकार ने ‘जिसका खेत उसकी रेत’ नीति पूरे राज्य में लागू कर दी है, जिससे बाढ़ से प्रभावित किसानों को राहत मिलेगी, जो अपनी जमीन से जमा मिट्टी को बेच सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने प्रति एकड़ फसल के नुकसान पर 20,000 रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है, जो देश में सबसे अधिक है।
मान सरकार ने बाढ़ में जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए भी 4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी वित्तीय सहायता दी जाएगी।
किसानों को राहत देते हुए, सरकार ने पंजाब को-ऑपरेटिव बैंकों से लोन लेने वाले किसानों को छह महीने तक किश्तें न भरने और ब्याज से छूट देने का फैसला किया है।
सरकार ने बाढ़ के बाद टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच शिविर, सफाई अभियान, स्कूलों और सरकारी भवनों की मरम्मत, पशुधन के नुकसान का आकलन और अधिकारियों को त्वरित समाधान प्रदान करने का निर्देश दिया है। पशुओं में बीमारियों को रोकने के लिए भी उपाय किए जाएंगे।
पंजाब 1988 के बाद सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है, जिसमें 23 जिले प्रभावित हैं। खेत और घर पानी में डूब गए हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कई लोग राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।