
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मानवीय आधार पर बांग्लादेश से निर्वासित की गई सोनाली खातून को उसके आठ वर्षीय बेटे के साथ भारत वापस लाने का आदेश दिया है। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया है कि वह सोनाली खातून को उसके बच्चे के साथ वापस लाएगी और उनकी निगरानी की जाएगी व आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी।
यह फैसला एक विशेष याचिका पर आया है, जिसमें केंद्र सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसने निर्वासित परिवार की वापसी का निर्देश दिया था। बांग्लादेशी नागरिक सोनाली खातून, जो भारत में बिरभूम में रह रही थी, को गर्भवती होने के बावजूद जून में बांग्लादेश निर्वासित कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, केंद्र से कहा कि मां और बच्चे को अलग नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यह कदम पूरी तरह से मानवीय आधार पर उठाया जा रहा है। केंद्र ने अदालत को आश्वासन दिया है कि सोनाली खातून को उसकी स्थिति को देखते हुए मुफ्त चिकित्सा देखभाल और सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। साथ ही, अदालत ने अधिकारियों को उसके बच्चे की दैनिक देखभाल सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है।
यह मामला तब शुरू हुआ जब सोनाली खातून के पिता, भोडू शेख ने दावा किया कि उनकी बेटी, पोते और दामाद को अवैध रूप से हिरासत में लेकर बांग्लादेश निर्वासित कर दिया गया था। श्री शेख का कहना है कि वह पश्चिम बंगाल के स्थायी निवासी हैं और उनकी बेटी व दामाद जन्म से भारतीय नागरिक हैं। हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क था कि निर्वासित व्यक्तियों ने भारतीय नागरिकता के कोई दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए थे।





