पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की खुलेआम तारीफ़ करना देश में चर्चा का विषय बन गया है। शर्म अल-शेख, मिस्र में गाजा शांति शिखर सम्मेलन के दौरान, ट्रम्प के बगल में खड़े होकर शहबाज शरीफ ने कहा कि ट्रम्प “शांति के व्यक्ति” हैं और उनके प्रयासों से शांति प्राप्त हुई है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोका था, और यदि वे न होते तो स्थिति भयावह हो सकती थी।
शहबाज शरीफ ने ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार बताते हुए कहा कि उन्होंने न केवल दक्षिण एशिया में शांति लाई, बल्कि मध्य पूर्व में भी लाखों जानें बचाई हैं। इस पर ट्रम्प ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी।
उधर, ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की और कहा कि भारत एक महान देश है जिसका एक “बहुत अच्छा दोस्त” शीर्ष पर है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान अच्छे से रहना सीखेंगे। ट्रम्प की इन बातों पर शहबाज शरीफ मुस्कुराते रहे। इसके बाद, पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर शहबाज शरीफ की काफी आलोचना हुई, जहाँ लोगों ने उन्हें “जूते पॉलिश करने वाला” और अयोग्य प्रधानमंत्री कहा।
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित समाचार पत्र ‘डॉन’ ने भी शहबाज शरीफ की कूटनीति को चापलूसी और विदेश नीति को “जूते की पॉलिश” करार दिया। देश में यह सवाल उठ रहा है कि क्या शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने अपने फायदे के लिए पाकिस्तान की इज्जत दांव पर लगा दी? जब देश के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख एक विदेशी नेता के सामने झुकते हैं, तो पाकिस्तान की वैश्विक हंसी का पात्र बनना स्वाभाविक है। यह कृत्य पाकिस्तान के आत्म-सम्मान को गंभीर रूप से ठेस पहुंचाता है।