रविवार को लद्दाख से लेकर तमिलनाडु तक, लोगों ने दुर्लभ पूर्ण चंद्र ग्रहण को देखने के लिए आसमान की ओर अपनी निगाहें टिकाईं। रात 9:57 बजे पृथ्वी की छाया ने चंद्रमा को ढकना शुरू किया। हालाँकि, देश के कुछ हिस्सों में मानसूनी बारिश के बीच चंद्रमा बादलों से ढके आसमान में लुका-छिपी खेलता दिखाई दिया। रात 11:01 बजे पृथ्वी की छाया ने चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लिया, जिससे चंद्रमा का रंग तांबे जैसा लाल हो गया और पूर्ण चंद्रग्रहण का दुर्लभ नजारा देखने को मिला।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के अनुसार, पूर्ण ग्रहण रात 11:01 बजे से रात 12:23 बजे के बीच 82 मिनट तक चला। यह चंद्र ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट तक चला। अब 21 सितंबर को अमावस्या तिथि पर वर्ष 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा।
चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल क्यों दिखता है?
जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के पूर्व निदेशक ने बताया कि चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देता है, क्योंकि उस तक पहुंचने वाला सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से परावर्तित होकर फैलता है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने बेंगलुरु, लद्दाख और तमिलनाडु में स्थित अपने परिसरों में लगीं दूरबीनों को चंद्रमा की ओर मोड़ दिया और पूर्ण चंद्रग्रहण की प्रक्रिया को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधे प्रसारित किया।
बादलों से ढका आसमान और लाइव स्ट्रीम
देश के कई भागों में बादलों से ढके आसमान ने दृश्य को बिगाड़ दिया, लेकिन दुनिया भर में खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों द्वारा आयोजित लाइव स्ट्रीम ने लोगों की निराशा को दूर किया। पूर्ण चंद्रग्रहण पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में दिखाई दिया।
भारत में दिखाई देने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण
रविवार का ग्रहण 2022 के बाद से भारत में दिखाई देने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण था। यह 27 जुलाई, 2018 के बाद से देश के सभी हिस्सों से देखा जाने वाला पहला चंद्रग्रहण था। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण देश में 31 दिसंबर 2028 को दिखाई देगा। ग्रहण दुर्लभ होते हैं और हर पूर्णिमा या अमावस्या को नहीं होते, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग पांच डिग्री झुकी हुई है।
चंद्र ग्रहण क्यों होता है?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे उसकी छाया चंद्र सतह पर पड़ती है। सूर्य ग्रहण के विपरीत, पूर्ण चंद्र ग्रहण को देखने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है। भारत में, चंद्र ग्रहण से कई अंधविश्वास जुड़े हैं। खगोलविदों का कहना है कि चंद्र ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है।
खगोलीय घटना और जागरूकता
खगोलविदों के अनुसार चंद्रग्रहण से ‘लोगों या जानवरों को कोई खतरा नहीं है’। विज्ञान के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है।