सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, दिल्ली और हरियाणा के कुछ हिस्सों सहित उत्तर भारत को प्रभावित करने वाली बाढ़ और भारी बारिश का स्वतः संज्ञान लिया और केंद्र और चार राज्यों को नोटिस जारी किया। राज्यों को तीन सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा, ”हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है। मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि बाढ़ में बड़ी संख्या में लकड़ी बह रही थी। प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पेड़ों की अवैध कटाई हुई है। इसलिए उत्तरदाताओं को नोटिस जारी करें। दो सप्ताह में वापस करें। केंद्रीय एजेंसियों को सेवा देने की स्वतंत्रता। एनएचएआई एक पक्ष है।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ”ऐसा लगता है कि पंजाब में पूरे खेत और गांव बाढ़ से बह गए हैं” और जोर दिया, ”विकास और पर्यावरण संरक्षण को संतुलित करने की आवश्यकता है।”
सर्वोच्च न्यायालय ने मीडिया रिपोर्टों पर ध्यान दिया, जिसमें संकेत दिया गया था कि हिमाचल प्रदेश की नदियों में अनगिनत लकड़ी के ब्लॉक तैर रहे हैं। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मुद्दे के संबंध में निर्देश प्राप्त करने का भी निर्देश दिया, जिसमें कहा गया कि सरकार को तीन सप्ताह में नोटिस का जवाब देना होगा।