प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वसई विरार नगर पालिका के पूर्व कमिश्नर अनिल पवार, नगर योजना विभाग के वाई.एस. रेड्डी, और दो बिल्डरों सीताराम गुप्ता व अरुण गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया है। सभी को ईडी कोर्ट में पेश किया जाएगा और ईडी रिमांड लेगी। यह कार्रवाई 41 अवैध इमारतों से जुड़े भ्रष्टाचार के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। ईडी ने छापेमारी में 1.33 करोड़ नकद जब्त किए, जो पवार के निकट संबंधियों के ठिकानों से बरामद हुए। साथ ही, कई अरबों की संपत्तियों के दस्तावेज और डिजिटल सबूत भी जब्त किए गए हैं। जांच में सामने आया कि अनिल पवार ने एक भ्रष्टाचार का कार्टेल बनाया था जिसमें नगर योजना के अधिकारी, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और लायजनर्स शामिल थे। इस नेटवर्क ने बिल्डरों से भारी रिश्वत वसूली। रिपोर्टों के अनुसार, 2025 रुपये प्रति वर्ग फुट तक का रेट निर्धारित था (पवार के लिए), जबकि रेड्डी 10 रुपये प्रति वर्ग फुट लेता था। अवैध निर्माण 60 एकड़ आरक्षित भूमि पर किया गया था। इन 41 इमारतों को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर फरवरी 2025 में गिरा दिया गया, जिससे लगभग 2,500 परिवार बेघर हो गए। ईडी ने पहले रेड्डी के हैदराबाद घर से 8.6 करोड़ नकद, 23 करोड़ से ज्यादा आभूषण और अन्य संपत्तियां जब्त की थीं। सीताराम गुप्ता के घर से 45 लाख नकद बरामद हुए।
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वसई-विरार घोटाला: पूर्व कमिश्नर अनिल पवार समेत 4 गिरफ्तार
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