उपराष्ट्रपति चुनाव में भले ही एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत हुई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में अमान्य वोटों की चर्चा जोरों पर है। 9 सितंबर को हुए चुनाव में 15 वोट अमान्य पाए गए। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि वोट कब अमान्य होता है और इसकी पहचान कैसे की जाती है?
यह अनुमान लगाया जाता है कि किस गठबंधन का वोट अमान्य हुआ, यह वोट डालने में हुई चूक से पता चलता है। अगर किसी सांसद ने सीपी राधाकृष्णन के सामने बने बॉक्स में गलती की है, तो माना जाता है कि वह एनडीए का सांसद था। अगर गलती सुदर्शन रेड्डी के सामने के बॉक्स में हुई है, तो माना जाता है कि वह इंडिया गठबंधन का सांसद रहा होगा।
वोट डालने में गलत पेन का इस्तेमाल करना भी एक कारण हो सकता है। उपराष्ट्रपति चुनाव में चुनाव अधिकारी द्वारा ही विशेष पेन दिया जाता है, जिससे वोट करना होता है। वोट को चुनौती दिए जाने की स्थिति में इस विशेष पेन (स्याही) को फॉरेंसिक जांच में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि अंकों (1 या 2) की जगह शब्दों में वरीयता लिखी गई हो (जैसे, एक या दो), या बॉक्स के अंदर नंबर लिखते समय उसकी सीमा पार कर दी गई हो, या दोनों उम्मीदवारों के सामने एक ही नंबर लिख दिया गया हो, तो वोट अमान्य हो जाता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान और मतगणना की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद गुप्त मतदान करते हैं। मतदान के लिए दिए गए मतपत्र पर सांसद की पहचान का कोई निशान नहीं होता, इसलिए यह पता नहीं लगाया जा सकता है कि किस सांसद ने किसे वोट दिया। सांसद को जो मतपत्र दिया जाता है, उस पर एक नंबर होता है। मतपत्र को मतपेटी में डालने से पहले उस नंबर को भी रंग से छुपा दिया जाता है, ताकि मतपत्र संख्या के आधार पर भी सांसद की पहचान उजागर न हो सके।
मतपत्र की संरचना:
– उम्मीदवारों के नाम के सामने बॉक्स बने होते हैं
– सांसद को अपनी पसंद के अनुसार अंकों में (1 और 2) लिखना होता है
– यदि चाहे तो सांसद केवल पहली पसंद भी लिख सकता है
– पसंद केवल अंकों में लिखी जा सकती है, शब्दों में नहीं
– अंतरराष्ट्रीय अंक प्रणाली, रोमन या किसी भी भारतीय भाषा में अंक लिखना मान्य है
– एक से अधिक पसंद लिखना अनिवार्य नहीं है
मतगणना की प्रक्रिया:
– सबसे पहले सभी मतपत्रों की छंटनी की जाती है।
– वैध और अवैध वोट अलग किए जाते हैं।
– वैध वोटों की कुल संख्या के आधार पर जीत का कोटा तय होता है
– फॉर्मूला: (वैध वोट ÷ 2) + 1
उदाहरण: यदि कुल वैध वोट 700 हैं तो जीत का कोटा 351 होगा
जिस उम्मीदवार को पहली पसंद के वोट कोटे से अधिक मिल जाते हैं, उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।