14 सितंबर का दिन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिन दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक, हिंदी को समर्पित है। भारत के अलावा, कई विदेशी देशों में भी हिंदी भाषी लोग रहते हैं। यहां तक कि खेल के मैदान में इतिहास रचने वाले कई महान खिलाड़ियों को भी हिंदी से गहरा लगाव है। ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं इंग्लैंड के पूर्व कप्तान डेविड बेकहम, जिन्होंने फुटबॉल की दुनिया में कई अद्भुत कारनामे कर प्रशंसकों का दिल जीता, लेकिन हिंदी बोलने वालों को उन्होंने एक खास अंदाज में अपना दीवाना बनाया। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हिंदी दिवस पर हम डेविड बेकहम का जिक्र क्यों कर रहे हैं, तो चलिए जानते हैं।
डेविड बेकहम का हिंदी से खास रिश्ता है। वह न केवल एक प्रसिद्ध फुटबॉलर और स्टाइल आइकन हैं, बल्कि अपने शरीर पर बने टैटू के लिए भी जाने जाते हैं। बेकहम के इन टैटू में से एक, उन्होंने हिंदी में बनवाया है। बेकहम ने अपनी पत्नी विक्टोरिया का नाम हिंदी में गुदवाया है। यह टैटू न केवल उनके निजी जीवन को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा के प्रति उनके प्रेम को भी दर्शाता है। आइए अब जानते हैं डेविड बेकहम के इस हिंदी टैटू के पीछे की कहानी।
बेकहम ने अपने हाथ पर हिंदी में अपनी पत्नी का नाम लिखवाया। डेविड बेकहम ने 2000 के दशक में अपने बाएं हाथ पर अपनी पत्नी विक्टोरिया का नाम हिंदी में टैटू करवाया था। यह टैटू “विक्टोरिया” नाम को देवनागरी लिपि में दर्शाता है। हालांकि, इस टैटू ने खूब सुर्खियां बटोरीं क्योंकि इसमें वर्तनी की गलती थी। हिंदी में “विक्टोरिया” के बजाय इसे “विह्टोरिया” लिखा गया था, जिसका उच्चारण गलत था। यह गलती मीडिया में बड़ी सुर्खियां बनी थी। बेकहम ने हिंदी में अपनी पत्नी का नाम इसलिए लिखवाया क्योंकि वह कुछ अनोखा और अलग करना चाहते थे।
बेकहम लगभग 6000 करोड़ रुपये के मालिक हैं। डेविड बेकहम भले ही फुटबॉल से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन पैसा कमाने की लिस्ट में आज भी किसी से पीछे नहीं हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार बेकहम की कुल संपत्ति 500 मिलियन पाउंड्स यानि लगभग 6000 करोड़ रुपये है। संडे टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेविड बेकहम और विक्टोरिया बेकहम इंग्लैंड के राजा चार्ल्स III से केवल 140 मिलियन पाउंड्स ही पीछे हैं।
डेविड बेकहम के करियर की बात करें तो इस खिलाड़ी ने अपने करियर में मैनचेस्टर यूनाइटेड, रियल मैड्रिड, एसी मिलान और पेरिस सेंट-जर्मेन जैसे बड़े क्लब्स के लिए फुटबॉल खेली। इसके अलावा, उन्होंने इंग्लैंड के लिए 13 सालों तक इंटरनेशनल फुटबॉल खेला जिसमें उन्होंने कुल 115 मैचों में 17 गोल किए।