एशिया कप 2025 में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। 9 सितंबर से टूर्नामेंट की शुरुआत होगी और 28 सितंबर को 8 टीमों के बीच चैंपियन का फैसला होगा। यह टूर्नामेंट एक बार फिर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले, 2022 में यह टूर्नामेंट UAE में आयोजित किया गया था। संयोग से, तीन साल पहले भी यह टूर्नामेंट UAE में टी20 प्रारूप में आयोजित किया गया था और इस बार भी यही प्रारूप है। प्रारूप चाहे जो भी हो, स्थान चाहे जो भी हो, लेकिन निगाहें केवल भारत-पाकिस्तान के मुकाबले पर होंगी, जो 3 बार देखने को मिल सकता है। अब सवाल यह है कि इन दोनों टीमों में किसका पलड़ा भारी है?
विभिन्न विरोधों, बहिष्कार के लिए उठ रही आवाजों और सीमा पर चल रहे तनाव के बीच, एशिया कप में 14 सितंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच पहला मुकाबला होगा। हर आयोजन की तरह, भारत और पाकिस्तान को भी एक ही ग्रुप (ए) में रखा गया है। ग्रुप स्टेज में दोनों के बीच टक्कर होगी ही, साथ ही सुपर-4 राउंड में भी मुकाबला होना लगभग तय है, बशर्ते UAE या ओमान कोई आश्चर्यजनक उलटफेर न कर दें। यदि सुपर-4 में भी दोनों टीमें पहले और दूसरे स्थान पर रहीं, तो फाइनल में भी मुलाकात होगी।
मौजूदा फॉर्म को देखें तो टीम इंडिया का पलड़ा भारी नजर आता है, जिसने पिछले एक साल में टी20 विश्व कप जीतने के अलावा बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों को हराया है। वहीं पाकिस्तान का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। लेकिन एशिया कप में होने वाले मुकाबले से पहले एक महत्वपूर्ण पहलू जानना आवश्यक है और वह है स्थान। दोनों टीमों के बीच ग्रुप स्टेज सहित सभी संभावित मैच दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले जाएंगे और यहां पाकिस्तान का पलड़ा थोड़ा भारी है।
इस स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच कुल 3 टी20 मैच खेले गए हैं, जिसमें 2 पाकिस्तान ने जीते हैं और एक भारत की झोली में आया है। तीन साल पहले हुए एशिया कप में भारत और पाकिस्तान 2 बार इस मैदान पर भिड़े थे और एक-एक मैच जीता था। पाकिस्तान ने जो एक अतिरिक्त मैच जीता है, वह टी20 विश्व कप 2021 में था, जब उसने पहली बार किसी भी विश्व कप में टीम इंडिया को हराया था। संयोग से, उस विश्व कप और फिर एशिया कप में टीम इंडिया फाइनल तक नहीं पहुंच पाई थी।
इससे ऐसा लगता है कि एशिया कप का टी20 प्रारूप में UAE में खेला जाना टीम इंडिया के लिए फायदेमंद नहीं है। लेकिन सूर्यकुमार यादव की कप्तानी वाली और गौतम गंभीर की कोचिंग वाली भारतीय टीम की ताकत को देखते हुए, ऐसा नहीं लगता कि पुराने रिकॉर्ड का कोई असर होगा। इस टीम ने पिछले एक साल में अलग-अलग परिस्थितियों में और अलग-अलग क्षमताओं वाली टीमों को हराया है। ऐसे में एक बार फिर भारतीय टीम खिताब की दावेदार होगी।