अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. तैयब इकराम ने शुक्रवार को राजगीर खेल अकादमी के हॉल में ‘ग्रासरूट टू ग्लोरी-ऑल अबॉउट हॉकी’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य खेल अकादमी, राजगीर को एशियाई हॉकी महासंघ द्वारा मान्यता दी जाएगी और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ इसका समर्थन करेगा।
बिहार और देश में हॉकी के विकास के लिए आयोजित इस विचार गोष्ठी में महिला हॉकी के विकास, खेल विज्ञान और तकनीक का महत्व, प्रशिक्षण और प्रशिक्षकों की महत्ता, बुनियादी स्तर पर एक मजबूत पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण, हॉकी के पुनरुद्धार में राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा उपयोगी विचार और सुझाव प्रस्तुत किए गए।
डॉ. तैयब ने कहा कि भारत के प्रशिक्षकों में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें पहचान कर आर्थिक सहायता सहित उचित सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है।
रवींद्रण शंकरण ने बिहार में हो रही विश्व की सबसे बड़ी खेल प्रतिभा खोज प्रतियोगिता ‘मशाल’ का जिक्र करते हुए डॉ. तैयब से पूछा कि अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ प्रतिभा खोज के लिए क्या कर रहा है? इस पर डॉ. तैयब ने कहा कि ग्रासरूट टू ग्लोरी का विचार तो ठीक है, लेकिन शीर्ष स्तर से नीचे तक सोच, व्यवहार और खेल दर्शन में बदलाव लाने की आवश्यकता है, तभी सही प्रतिभा सामने आएगी।
राज्य सरकार खेल और खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है और मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने, पुरस्कृत करने और आर्थिक सहयोग देने का काम कर रही है। बुनियादी स्तर पर युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत प्रेरणा योजना में सहायता भी दी जा रही है। हीरो एशिया कप में बॉल बॉय और बॉल गर्ल्स की भूमिका निभा रहे युवाओं में से कोई देश का अगला कप्तान बन सकता है।
महिला हॉकी के विकास के लिए, भारतीय महिला टीम की पूर्व खिलाड़ी प्रीतम रानी ने कहा कि हमें ग्रासरूट पर काम करने की आवश्यकता है। हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा कि यह पहली बार है कि किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में इस तरह का कॉन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है। खिलाड़ियों को अपनी सूझबूझ और मेहनत से खेलने की सलाह दी गई।