पलामू, चंद्रेशेखर सिंह: झारखंड के पलामू में संचालित एक संस्कृत विद्यालय सरकार द्वारा मिल रही अनुदान राशि का खुलकर बंदरबाट कर रहा है. दिलचस्प बात ये है कि यह स्कूल केवल कागजों पर ही संचालित है. न तो यहां कभी विद्यार्थी दिखाई पड़ते हैं और न ही कभी यह स्कूल खुलता है. इसके बावजूद विद्यालय को प्रतिवर्ष लाखों रुपये का अनुदान मिल रहा है और उसकी निकासी कर शिक्षकों के नाम पर राशि बांटी जा रही है. मामला पांकी प्रखंड स्थित बैदा गांव का संकेटश्वर संस्कृत उच्च विद्यालय का है. जानकारी के मुताबिक वर्ष 2023-24 में विद्यालय को 8,44,800 रुपये और 2024- 25 में 9,60,000 रुपये की अनुदान राशि प्रदान की गयी है.
रजिस्टर में दर्ज है 222 छात्रों के नाम
हैरानी की बात यह है कि विद्यालय के रजिस्टर में दर्ज 222 छात्रों में से एक भी छात्र स्थानीय नहीं हैं. गुमला, लोहरदगा, चतरा, रांची और बिहार के अलग अलग जिलों के छात्रों का नाम दर्ज है, लेकिन गांव से कोई भी छात्र नामांकित नहीं है. स्थानीय मुखिया जितेंद्र पांडेय ने स्पष्ट कहा कि यह विद्यालय वर्षों से बंद है और केवल पैसों की बंदरबांट के लिए इसका नाम चलाया जा रहा है. उन्होंने इसे पूरी तरह से फर्जी विद्यालय बताया.
सुरेश प्रसाद सिन्हा के संरक्षण में चल रहा फर्जीवाड़ा
पलामू में संचालित इस संस्कृत विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों में बिहार के औरंगाबाद के विकास कुमार, चतरा के दिलीप सिंह, चैनपुर के गौतम कुमार और निधि कुमारी शामिल है. निधि स्थानीय दिलीप सिन्हा की पुत्री हैं, जिसकी शादी बिहार में हुई है. इन सभी को अनुदान की राशि नियमित रूप से दी जा रही है. विद्यालय की सचिवीय जिम्मेदारी पिछले 10 वर्षों से सुरेश प्रसाद सिन्हा संभाल रहे हैं. आरोप है कि इन्हीं के संरक्षण में फर्जीवाड़ा चल रहा है.
फर्जी हस्ताक्षर के जरिये नयी कमेटी गठित हुई
विद्यालय के पूर्वप्रधानाध्यापक सत्यनारायण सिंह ने बताया कि उन्होंने 2020 में सेवानिवृत्ति ली थी, लेकिन किसी ने उनसे औपचारिक रूप से प्रभार नहीं लिया. इसके बाद फर्जी हस्ताक्षर कर नयी कमेटी गठित की गयी और बैंक में दस्तावेज जमा कर राशि की निकासी की गयी. उन्होंने इस संबंध में डीसी, डीइओ, बीडीओ और बीइइओ को लिखित शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.