Women Painting Workshop: रांची-रांची के मोरहाबादी स्थित डॉ रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट में शुरू हुई तीन दिवसीय ‘जेंडर और क्लाइमेट चेंज पर चित्रकला कार्यशाला’ के दूसरे दिन कलाकारों ने अपनी पेंटिंग्स तैयार बनायी. पेंटिंग के जरिए महिला कलाकारों ने क्लाइमेंट चेंज का असर दिखाया. कार्यशाला में शामिल 19 आर्टिस्ट्स में से अधिकतर ट्राइबल समुदाय से हैं. यह कार्यशाला ‘देशज अभिक्रम’ और ‘असर’ के संयुक्त प्रयास से आयोजित की जा रही है.
पेंटिंग से महिला चित्रकारों ने दिया संदेश
दिव्याश्री कहती हैं कि इस वर्कशॉप में बनायी गयी पेंटिंग जलवायु परिवर्तन, रेनवाटर हार्वेस्टिंग, इकोफ्रेंडली (सस्टेनेबल) हाउसिंग को लेकर है. इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण की जरूरत को दिखाया गया है. अनुकृति टोप्पो ने कहा कि उन्होने अपनी पेंटिंग में जलवायु परिवर्तन के डार्क रियलिटी को दिखाने की कोशिश की है. औद्योगिक विकास के कारण गर्म होती धरती और उसकी व्यथा को चित्रित किया गया है. खनन प्रभावित इलाकों में लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं. जंगल जल रहा है. इसे चित्रित करने का प्रयास किया गया है.
जलवायु परिवर्तन से नुकसान को किया गया चित्रित
सस्मिरेखा पात्र कहती हैं कि पहले के जमाने में सनक्लॉक से समय का पता लगता था. इसीलिए उनकी पेंटिंग में जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान को दर्शाया गया है. धीरे-धीरे हरियाली खत्म हो रही है और मौसमी घटनाओं से जूझ रहे हैं. अकाल, फॉरेस्ट फायर, सूखा, अतिवृष्टि इसके उदाहरण हैं. इस पेंटिंग में प्रकृति और पौधों को इन सब से बचाने की चाबी के रूप में दिखाया है. दुमका की आदिवासी चित्रकला अकादमी की नीलम नीरद कहती हैं कि वायु प्रदूषण अब शहरों के साथ गांवों की भी समस्या बन गयी है. उन्होंने अपनी पेंटिंग में इसे दिखाने की कोशिश की है. एक ग्रामीण महिला पानी भरने जा रही है, लेकिन वायु प्रदूषण से उसका सांस लेना दूभर हो रहा है. वायु प्रदूषण का महिलाओं पर असर दिखाया गया है.
अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील
अर्पिता राज नीरद कहती हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण हर जगह सूखे की स्थिति बन गयी है. हरियाली खत्म हो रही है. पेंटिंग में एक महिला को ईश्वर से प्रार्थना करते हुए दिखाया है, जो सूखे से पीड़ित है. सुधा कुमारी बताती हैं कि उनके गांव में सड़क बनाने के दौरान बरगद सहित सैंकड़ों पेड़ काटे गए. इससे जंगली जानवर भी गांव से पलायन कर गए. देखते देखते गांव काफी बदल गया. जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है. पेंटिंग में लालच में पेड़ कटने के बाद की स्थिति में एक लड़की को दिखाया गया है. पेंटिंग में सारा जंगल काट लिया गया है और सिर्फ एक पेड़ बचा है. अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील की गयी है.
महिलाओं पर क्लाइमेट चेंज का असर
निशी कुमारी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज का सीधा और अधिक असर महिलाओं पर है. पेंटिंग में घर में अकेली रह गई महिला के पानी और बच्चों को पालने में हो रही दिक़्कतों को दर्शाया गया है. सृजिता की पेंटिंग में एक मां अपने बच्चे को पीठ पर बांधकर पानी भरने जा रही है. आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि किलोमीटर चलने के बाद जिस मटके में पानी भरकर ला रही हैं, वो भी चटका हुआ है. रोशनी खलखो की पेंटिंग जलवायु परिवर्तन से लड़ने में महिलाओं की भूमिका के बारे में बता रही है. मनिता कुमारी उरांव की पेंटिंग का टाइटल प्रोटेस्ट फॉर एक्जिस्टेंस है. ज्योति वंदना लकड़ा ट्राइबल कंटेपररी आर्टिस्ट हैं. उनकी पेंटिंग में झारखंड की प्रकृति को दिखाने की कोशिश की गयी है. मानसी टोप्पो की पेंटिंग में क्लाइमेट चेंज और उसका गर्भवती महिला पर असर दिखाया गया है.
पेंटिंग से दिखाया ग्रामीण महिलाओं का संघर्ष
महिला चित्रकार रितेशना राज, चांदनी कुमारी, कौरवी दास, सोफिया मिंज और तान्या मिंज ने भी अपनी पेंटिंग के जरिए जलवायु परिवर्तन का महिलाओं पर असर दिखाया है. ग्रामीण महिलाओं के संघर्ष को दिखाया गया है. रोजाना की जिंदगी के संघर्षों को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गयी है.
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