29 अप्रैल की शाम Aligarh के बन्नादेवी थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने एक खुशहाल परिवार को चंद मिनटों में बर्बादी के मुहाने पर ला खड़ा किया। दिल्ली-कानपुर हाईवे पर स्थित भीकमपुर के पास एक तेज रफ्तार कार ने बाइक सवार परिवार को बेरहमी से टक्कर मार दी। इस दर्दनाक हादसे में बीना देवी (45) की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके पति महेंद्र सिंह और नातिनी अदिति गंभीर रूप से घायल हो गए।
रिश्तेदार के यहां से लौट रहे थे, खुशियों से भरी शाम मातम में बदली
महेंद्र सिंह, जो कि थाना जवां क्षेत्र के गांव अमरौली निवासी हैं, एक सामान्य किसान हैं। वह अपनी पत्नी बीना देवी और नातिनी अदिति के साथ रिश्तेदार के यहां गभाना के गांव बहलोलपुर गए थे। दिनभर की मुलाकात और पारिवारिक बातचीत के बाद वे शाम को बाइक से घर लौट रहे थे। लेकिन शायद उन्हें भी नहीं पता था कि यह सफर उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदलने वाला है।
भीकमपुर के पास जैसे ही उनका वाहन हाईवे पर पहुंचा, एक बेकाबू कार ने सीधी टक्कर मार दी। राहगीरों की मदद से पुलिस ने तत्काल तीनों को जेएन मेडिकल कॉलेज पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने बीना देवी को मृत घोषित कर दिया। महेंद्र सिंह और मासूम अदिति की हालत नाजुक बनी हुई है, और उनका इलाज जारी है।
कार चालक हिरासत में, लेकिन दर्द की भरपाई नामुमकिन
घटना की सूचना मिलते ही बन्नादेवी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और तेज रफ्तार कार को जब्त कर लिया। चालक को हिरासत में ले लिया गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि ऐसे लापरवाह ड्राइवरों की वजह से कितने और परिवार बर्बाद होंगे? क्या सिर्फ गिरफ्तारी से ही इंसाफ हो जाता है?
घर में पसरा मातम, गांव में शोक की लहर
बीना देवी की मौत की खबर जैसे ही अमरौली गांव पहुंची, पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार वाले रो-रो कर बेसुध हो गए। महेंद्र सिंह, जो खुद भी गंभीर रूप से घायल हैं, अपनी पत्नी को एक झलक भी नहीं देख सके। अदिति, जो अभी तक अस्पताल के बिस्तर पर दर्द से कराह रही है, शायद अभी भी नहीं जानती कि उसकी नानी अब इस दुनिया में नहीं हैं।
बढ़ते सड़क हादसों पर लगाम कब?
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश और देश के लिए एक चेतावनी है। उत्तर प्रदेश में हर दिन ऐसे हादसे हो रहे हैं, जहां लापरवाह ड्राइविंग, तेज रफ्तार और सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी लोगों की जान ले रही है। हाईवे पर वाहन चलाने वाले अक्सर ट्रैफिक नियमों को नजरअंदाज करते हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
पिछले कुछ महीनों में अलीगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्रों में सड़क हादसों की संख्या में इजाफा हुआ है। खासतौर पर दिल्ली-कानपुर हाईवे पर लगातार ऐसे हादसे सामने आए हैं, जहां पैदल यात्री, दुपहिया वाहन सवार और छोटे बच्चों तक की जान चली गई।
प्रशासन और परिवहन विभाग पर उठते सवाल
ऐसे मामलों में सवाल प्रशासन और ट्रैफिक विभाग की जिम्मेदारी पर भी उठते हैं। आखिरकार, क्यों नहीं होती इन हाईवे पर पर्याप्त स्पीड मॉनिटरिंग? क्यों नहीं होते ब्रेकर और चेतावनी संकेत? क्यों नहीं चेक किए जाते वाहनों की गति और चालक की लापरवाही?
बीना देवी की मौत सिर्फ एक आंकड़ा बनकर ना रह जाए, इसके लिए जरूरी है कि इस हादसे को एक चेतावनी की तरह लिया जाए। प्रशासन को ऐसे ब्लैक स्पॉट्स को चिन्हित कर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
महिला की मौत, मासूम की चोटें, और पति का टूटा साहस — एक जीवन की पूरी कहानी
बीना देवी एक गृहिणी थीं, जो अपने परिवार की रीढ़ थीं। गांव में उनका सम्मान था, लोग उन्हें “बीना भाभी” कहकर पुकारते थे। अदिति, जो अभी स्कूल में पढ़ रही है, अपनी नानी से बहुत जुड़ी हुई थी। यह हादसा उसके लिए केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी एक गहरा आघात है।
महेंद्र सिंह, जो कि अब भी अस्पताल में भर्ती हैं, को जब होश आएगा, तो उन्हें सबसे बड़ा झटका तब लगेगा जब उन्हें बताया जाएगा कि उनकी जीवनसाथी अब इस दुनिया में नहीं रही।
न्याय और सुधार की मांग
स्थानीय लोगों और परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि न केवल आरोपी चालक को कड़ी सजा दी जाए, बल्कि उस हाईवे पर यातायात नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम भी किए जाएं। इसके साथ ही पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता देने की भी मांग उठ रही है।
यह हादसा हम सभी के लिए एक सबक
हमें याद रखना चाहिए कि सड़क पर एक छोटी सी गलती किसी की पूरी जिंदगी छीन सकती है। यह घटना हमें सिखाती है कि वाहन चलाते समय संयम, सावधानी और नियमों का पालन ही जीवन की सुरक्षा की गारंटी है।
क्या आप भी ऐसे हादसे का शिकार हुए किसी परिवार को जानते हैं? सड़क सुरक्षा पर आपकी क्या राय है?