Varanasi, एक ऐसा शहर जो धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में अब रेलवे ने एक अनोखा प्रयास शुरू किया है, जो न केवल रेलवे स्टेशन के साफ-सफाई को बेहतर करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा। वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) प्लांट लगाया गया है, जो हर दिन निकलने वाले वेस्ट मटेरियल से खाद और कार्डबोर्ड जैसी उपयोगी चीजों का निर्माण करेगा।
यह प्लांट वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर स्थापित किया गया है, और उम्मीद की जा रही है कि यह प्लांट आने वाले कुछ ही दिनों में पूरी तरह से चालू हो जाएगा। खास बात यह है कि इस प्लांट से स्टेशन पर प्रतिदिन निकलने वाले लगभग 5-6 टन कचरे का सही तरीके से निस्तारण होगा, जिससे पर्यावरण को बड़ा लाभ मिलेगा।
वेस्ट मटेरियल से खाद और कार्डबोर्ड का निर्माण
नॉर्दन रेलवे के लखनऊ मंडल के डीआरएम, एस.एम. शर्मा ने इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन करीब 5 से 6 टन कचरा निकलता है। इस कचरे से खाद और कार्डबोर्ड जैसे उत्पाद बनाए जाएंगे, जो न केवल स्टेशन की सफाई को बेहतर बनाएंगे बल्कि इनसे पर्यावरण को भी फायदा होगा।
सभी प्लास्टिक, चिप्स के पैकेट, पानी की बोतलें, कागज की प्लेट और अन्य वेस्ट मटेरियल को रिसाइकल कर कार्डबोर्ड में बदलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके साथ ही खाने-पीने के वेस्ट मटेरियल से खाद का निर्माण होगा, जिसे बाद में स्टेशन और आसपास के क्षेत्र में उपयोग किया जाएगा।
स्टेशन को हरा-भरा बनाने की दिशा में कदम
इस प्लांट से कुल मिलाकर 60% खाद रेलवे को मिलेगा, जिसका उपयोग स्टेशन और आसपास के एरिया को हरा-भरा बनाए रखने में किया जाएगा। प्लांट से 40% खाद बाहर बेचा जाएगा, जो अन्य कृषि कार्यों में उपयोगी होगा। इस कदम से ना सिर्फ रेलवे स्टेशन का वातावरण साफ-सुथरा रहेगा बल्कि आसपास का पर्यावरण भी बेहतर होगा।
यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम पहल साबित हो सकता है, जो अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है। यह प्लांट न केवल कचरे को ठिकाने लगाने में मदद करेगा, बल्कि पुनः उपयोग की प्रक्रिया को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
बिजली कनेक्शन से जुड़ी प्रक्रिया
डीआरएम एस.एम. शर्मा के मुताबिक, इस प्लांट के बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी और उसके बाद यह पूरी तरह से कार्य शुरू कर देगा। फिलहाल, यह प्लांट सिर्फ वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर ही कचरे का निस्तारण करेगा। हालांकि, भविष्य में यह योजना अन्य रेलवे स्टेशनों पर भी लागू की जाएगी, जिससे रेलवे का पूरे नेटवर्क में स्वच्छता और पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलेगी।
अन्य स्टेशनों के लिए भविष्य की योजना
Varanasi के कैंट रेलवे स्टेशन पर शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट, भविष्य में एक मॉडल के रूप में अन्य रेलवे स्टेशनों पर भी स्थापित किया जा सकता है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में इस प्रोजेक्ट का विस्तार अन्य स्टेशनों तक किया जाएगा। इसके बाद, रेलवे स्टेशनों पर वेस्ट मटेरियल के निस्तारण का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा, और यह प्रोजेक्ट ना केवल रेलवे स्टेशनों बल्कि आसपास के पर्यावरण के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा।
यह योजना रेलवे की तरफ से एक क्रांतिकारी कदम है, जो न सिर्फ कचरे को सही तरीके से निस्तारित करेगा, बल्कि हरियाली को बढ़ावा देगा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा योगदान देगा। इस तरह के पहल से शहरों की सफाई व्यवस्था में भी सुधार होगा और नागरिकों में भी कचरा प्रबंधन को लेकर जागरूकता फैलेगी।
वाराणसी की साफ-सफाई की दिशा में बड़ा कदम
इस पहल से वाराणसी के स्थानीय नागरिकों को भी लाभ होगा, क्योंकि स्टेशन और उसके आसपास के क्षेत्रों में अधिक हरियाली और सफाई दिखाई देगी। यह प्रोजेक्ट शहर के पर्यावरण को साफ रखने में मदद करेगा और यहां आने वाले पर्यटकों को भी एक स्वच्छ वातावरण मिलेगा।
आने वाले दिनों में, इस तरह के प्रयासों से ना केवल वाराणसी, बल्कि अन्य शहरों में भी रेलवे स्टेशनों को एक नई दिशा मिल सकती है, जिससे देशभर में रेलवे का पर्यावरणीय दृष्टिकोण और भी मजबूत हो सके।
रेलवे के पर्यावरणीय प्रयासों का महत्व
भारतीय रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में वेस्ट मटेरियल से खाद बनाना, सौर ऊर्जा का उपयोग, और जल संरक्षण की योजनाएं शामिल हैं। रेलवे के द्वारा उठाए गए इन कदमों से न केवल भारतीय रेलवे के कार्यों में सुधार होगा, बल्कि भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों को भी समर्थन मिलेगा। वाराणसी में शुरू किया गया यह वेस्ट मटेरियल रिकवरी प्लांट, भारतीय रेलवे के इन प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।