Agra जिले से एक चौंकाने वाली और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। अछनेरा कस्बे के एक गांव की सातवीं कक्षा की छात्रा, जो हर दिन की तरह दोपहर को ट्यूशन पढ़ने निकली थी, उसी रास्ते में तीन दरिंदों ने उसे अगवा कर लिया। यह दुस्साहसिक घटना उस समय हुई जब छात्रा स्कूल से निकलकर पास के गांव में ट्यूशन के लिए जा रही थी। लेकिन रास्ते में गांव के ही तीन युवक—अंकित, सोनू और संजय—ने उसे जबरन बाइक पर बैठा लिया और अपहरण कर लिया।
पीड़िता की चीखें आसमान को चीर रही थीं, लेकिन उस समय न कोई मददगार था और न ही कोई चश्मदीद जिसने इन दरिंदों को रोका। छात्रा की मां ने पुलिस को बताया कि बिटिया घर से दोपहर करीब 3:30 बजे निकली थी, लेकिन जब वह कई घंटे बाद भी घर नहीं लौटी, तो चिंता की लहर फैल गई।
छात्रा के ट्यूशन न पहुंचने पर खुला मामला, राहगीर के मोबाइल से किया खुलासा
घरवालों ने पहले ट्यूशन टीचर से बात की, जिन्होंने बताया कि छात्रा आज वहां आई ही नहीं। घबराए परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। इस बीच शाम को सिकंदरा क्षेत्र से एक राहगीर के मोबाइल से बच्ची ने कॉल कर बताया कि उसे तीन युवकों ने जबरन उठा लिया था और रास्ते में छेड़छाड़ की।
उसने बताया कि वह चीखती रही, मदद की गुहार लगाती रही, और अंत में आरोपी घबरा गए और सिकंदरा क्षेत्र में उसे फेंककर फरार हो गए। हैरानी की बात यह रही कि आरोपी अपनी बाइक भी वहीं छोड़ गए। पुलिस ने बाइक जब्त कर ली है, जिससे उनकी पहचान और लोकेशन की पड़ताल की जा रही है।
पीड़िता सदमे में, आरोपी पक्ष का दबाव शुरू, पुलिस जुटी जांच में
घटना के बाद से छात्रा गहरे सदमे में है। वह अब घर से बाहर निकलने में भी डर रही है। मां ने बताया कि बच्ची रात को सोते-सोते डर जाती है और बार-बार एक ही बात दोहराती है—”मम्मी, वे लोग फिर से आएंगे क्या?”
वहीं दूसरी तरफ, आरोपी पक्ष के लोग अब पीड़ित परिवार पर दबाव बनाने लगे हैं कि वे पुलिस कार्रवाई न करें। यही नहीं, कुछ लोगों ने समझौते का प्रस्ताव भी रखा, लेकिन परिवार ने सख्ती से इनकार करते हुए न्याय की मांग की।
अछनेरा थाना प्रभारी ने बताया कि तीनों आरोपियों—अंकित, सोनू और संजय—के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सख्त धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने विभिन्न टीमों का गठन कर आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
सवालों के घेरे में बेटियों की सुरक्षा, ट्यूशन जाने तक में नहीं सुरक्षित मासूमें
यह घटना केवल एक बच्ची की नहीं, बल्कि समूचे समाज की अंतरात्मा को झकझोरने वाली है। जब एक मासूम बच्ची अपने ही गांव में, दिनदहाड़े सुरक्षित नहीं है, तो हम किस सुरक्षा की बात करते हैं?
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में बच्चियों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि देखी गई है। खासकर स्कूल या ट्यूशन जाते समय बच्चियां अपराधियों का आसान शिकार बन रही हैं। सवाल यह भी है कि आखिर गांव और कस्बों में लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
प्रशासन पर बढ़ा दबाव, महिला आयोग और बाल आयोग सक्रिय
जैसे ही मामला सामने आया, स्थानीय महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट मांगी है। वहीं, बाल कल्याण समिति ने भी बच्ची की सुरक्षा और मानसिक स्थिति को देखते हुए काउंसलिंग शुरू करवाई है।
एसपी ग्रामीण आगरा ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वयं वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी कर रहे हैं। हर पहलू की जांच की जा रही है और जल्द ही दोषियों को कानून के शिकंजे में लिया जाएगा।
बढ़ती घटनाएं, घटती संवेदनाएं: समाज को जागना होगा
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, अलीगढ़ जैसे जिलों में लगातार ऐसी शर्मनाक घटनाएं सामने आती रही हैं। लेकिन समाज का रवैया अब भी उदासीन है।
जब तक दोषियों को समाजिक बहिष्कार और त्वरित न्याय नहीं मिलेगा, तब तक बच्चियों की सुरक्षा केवल योजनाओं तक सीमित रहेगी। यही समय है जब हर नागरिक को आगे आना चाहिए और ऐसी हरकतों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ: ऐसे मामलों में सख्त कानून और फास्ट ट्रैक कोर्ट जरूरी
कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे मामलों में पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। साथ ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जानी चाहिए।
यदि ऐसा नहीं होता, तो अपराधियों के हौसले और बढ़ते जाएंगे और बेटियां खुद को कहीं भी सुरक्षित नहीं समझेंगी।
बिटिया की एक ही मांग – मुझे इंसाफ चाहिए!
सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली उस मासूम की आंखों में अब भी डर है, पर उसके शब्दों में हिम्मत है। वह बार-बार कहती है—”मुझे इंसाफ चाहिए, ताकि कोई और बच्ची मेरे जैसा न सह पाए।”
उसकी यह पुकार केवल उसकी नहीं, बल्कि हर उस बच्ची की है जो स्कूल, ट्यूशन या मंदिर तक भी सुरक्षित नहीं है।