उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने Gorakhpur को एक और बड़ी सौगात दी है। अब गोरखपुर में उत्तर भारत की पहली फॉरेस्ट एंड हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी (Forest and Horticulture University) बनने जा रही है, जो न सिर्फ राज्य बल्कि समूचे उत्तर भारत के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम होगा। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से न केवल शिक्षा के क्षेत्र में नयी क्रांति आएगी, बल्कि इससे युवाओं के लिए रोजगार और स्किल डेवेलपमेंट के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।
यूनिवर्सिटी की संकल्पना और महत्व
यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में 5वीं और गोरखपुर के लिए पहली शिक्षा संस्थान होगा। खास बात यह है कि यह उत्तर भारत में अपनी तरह की पहली यूनिवर्सिटी होगी, जो फॉरेस्ट एजुकेशन और रिसर्च पर केंद्रित होगी। देश में यह दूसरी और दुनिया में चौथी ऐसी यूनिवर्सिटी होगी जो पूरी तरह से वन, कृषि, पर्यावरण और हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में उच्चतम स्तर की शिक्षा और शोध कार्य करेगी।
Gorakhpur को एक और प्रमुख पहचान मिलने जा रही है, जो न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण होगा। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से गोरखपुर के शिक्षा और रोजगार के परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा और भूमि प्रक्रिया
6 सितंबर 2024 को, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के कैंपियरगंज में जटायु संरक्षण केंद्र के उद्घाटन के मौके पर इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को गोरखपुर के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया और इसके निर्माण में प्रशासन द्वारा पूरी गंभीरता से काम करने का आश्वासन दिया।
इसके बाद, प्रशासन ने 50 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि की पहचान कर ली है और इस जमीन पर विश्वविद्यालय के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से ‘लैंड ट्रांसफर’ की मंजूरी प्राप्त करने के बाद मई 2025 तक इस प्रक्रिया के पूरा होने की संभावना है।
621 करोड़ की लागत और योजना
गोरखपुर की इस ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा 621.26 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। इस विशाल परियोजना के तहत, यूनिवर्सिटी के मुख्य भवन और हॉस्टल के निर्माण के लिए 6 हेक्टेयर भूमि पर काम किया जाएगा। जबकि, बाकी 44 हेक्टेयर भूमि को हरित क्षेत्र में बदला जाएगा, जिससे पर्यावरण को भी बेहतर बनाया जा सके। वन विभाग ने फरवरी 2024 में इस प्रस्ताव को शासन को भेज दिया था, और अब इसे सरकार से मंजूरी का इंतजार है।
युवाओं के लिए नए अवसर
इस विश्वविद्यालय में फॉरेस्ट, एग्रीकल्चर फॉरेस्ट, सोशल फॉरेस्ट और हॉर्टिकल्चर से जुड़े डिग्री और डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जाएंगे। इससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और उन्हें इन क्षेत्रों में विशेष विशेषज्ञता हासिल करने का मौका मिलेगा। साथ ही, इस विश्वविद्यालय के माध्यम से उन क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य भी होंगे, जो आजकल के बढ़ते पर्यावरणीय संकट को हल करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
यह यूनिवर्सिटी न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश और उत्तर भारत के लिए एक बड़ा अवसर साबित होगी। यह कदम प्रदेश सरकार की ओर से एक मजबूत और स्थायी भविष्य की ओर बढ़ने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा सकता है।
Gorakhpur की मौजूदा यूनिवर्सिटीज़
गोरखपुर में पहले से ही चार प्रमुख विश्वविद्यालय हैं, जो शिक्षा के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दे रहे हैं:
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी: यह विश्वविद्यालय गोरखपुर का एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र है।
मदन मोहन मालवीय टेक्निकल यूनिवर्सिटी: यह तकनीकी शिक्षा में गोरखपुर का प्रमुख संस्थान है।
महायोगी गोरखनाथ यूनिवर्सिटी (प्राइवेट सेक्टर): यह एक निजी विश्वविद्यालय है जो विविध कोर्स प्रदान करता है।
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष यूनिवर्सिटी: यह आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है।
इन विश्वविद्यालयों के साथ-साथ, फॉरेस्ट एंड हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी गोरखपुर में शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में एक नई दिशा और पहचान स्थापित करने में मदद करेगी।
गोरखपुर में इस नई यूनिवर्सिटी की शुरुआत, राज्य और राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। यह कदम न केवल गोरखपुर बल्कि उत्तर भारत के शैक्षिक परिदृश्य को भी एक नया आकार देने वाला है। इस विश्वविद्यालय के निर्माण से इस क्षेत्र में फॉरेस्ट और हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में उच्चतम गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी। यह परियोजना गोरखपुर के विकास की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगी।