उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर Varanasi से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात ने पूरे गांव को सन्न कर दिया है। चौबेपुर थाना क्षेत्र के अमौली गांव में 40 वर्षीय राजू पाल नामक व्यक्ति ने महज सात दिन पहले ब्याही अपनी तीसरी पत्नी आरती पाल को लाठी से पीट-पीटकर मार डाला। हत्या के पीछे की वजह है – शक, हिंसा और नशे की लत। यह वही राजू है जो पहले भी एक हत्या के आरोप में सात साल की सजा काट चुका है।
शक की आग में जलती जिंदगी
आरती पाल की उम्र मात्र 28 वर्ष थी। राजू की तीसरी पत्नी बनने के बाद वह नई जिंदगी की उम्मीद लेकर उसके घर आई थी। लेकिन कुछ ही दिनों में उसका यह सपना काफूर हो गया। राजू को अपनी पत्नी पर शक था कि वह अपने किसी रिश्तेदार युवक से मोबाइल पर बातचीत करती है। हालांकि वह युवक खुद आरती का नजदीकी रिश्तेदार था। बावजूद इसके, राजू के भीतर पनपता अविश्वास उसे हैवानियत की ओर धकेलता रहा।
दिल दहलाने वाली रात: नींद में मौत
वारदात वाली रात आरती नींद में थी। राजू के भीतर का संदेह एक ज्वालामुखी बन चुका था। उसने पत्नी के सिर और शरीर पर लाठी से एक के बाद एक कई वार किए, जब तक कि आरती की सांसें नहीं थम गईं। यह क्रूरता इस कदर थी कि आरती का पूरा शरीर खून से लथपथ हो गया।
हत्या को रेप बनाकर दिखाना चाहता था राजू
हत्या के बाद भी राजू का खेल खत्म नहीं हुआ। उसने अपराध छुपाने के लिए आरती की लाश को घर के बाहर बनी एक मड़ई में फेंक दिया और इसे दुष्कर्म की घटना का रूप देने की कोशिश की। सुबह जब गांववालों ने मड़ई में शव देखा तो पुलिस को बुलाया गया। राजू उस समय खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते हुए फूट-फूटकर रो रहा था और कह रहा था कि उसकी पत्नी के साथ किसी ने दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी है।
पुलिस की पैनी नजर और खुलासा
मौके पर पहुंची चौबेपुर पुलिस ने राजू के अभिनय को तुरंत पकड़ लिया। जब उससे कड़ाई से पूछताछ की गई, तो वह घबरा गया और टूटकर पूरी सच्चाई उगल दी। उसने स्वीकार किया कि हत्या उसने खुद की है और किसी और को फंसाने की साजिश रची थी। पुलिस ने राजू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
राजू पाल का आपराधिक इतिहास
राजू का अतीत भी अपराधों से भरा रहा है:
उसकी पहली पत्नी संध्या उसे शराब की लत और हिंसक स्वभाव के चलते छोड़ गई।
दूसरी पत्नी पुष्पा भी राजू के रोज़ के हिंसक बर्ताव से परेशान होकर अलग हो गई।
सालों पहले राजू ने अपनी ही बहन के प्रेमी को मौत के घाट उतारा था, जिसके लिए उसे सात साल की सजा हुई थी।
नवंबर 2023 में वह जेल से छूटा और मई 2024 में उसने आरती से तीसरी शादी रचाई थी।
गांव वालों की राय: “वह तो पहले से हैवान था”
गांव के लोग बताते हैं कि राजू शुरू से ही नशे का आदी और हिंसक था। कोई भी उससे सीधे बात करने से डरता था। महिलाओं से उसका व्यवहार हमेशा अपमानजनक और असामान्य रहा। यहां तक कि वह सार्वजनिक जगहों पर भी झगड़े करने में संकोच नहीं करता था। गांव के बुजुर्गों ने कई बार पंचायत में इस पर चर्चा की, लेकिन कोई सुधार नहीं आया।
पुलिस का बयान
एडीसीपी वरुणा जोन नीतू कादयान ने बताया, “हमें रात में सूचना मिली थी कि कुछ लोग राजू पाल के खेत में मारपीट कर रहे हैं। जब हम मौके पर पहुंचे तो महिला का शव मिला। पूछताछ में राजू भागने लगा। बाद में उसने हत्या करना स्वीकार किया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और आरोपी को जेल भेज दिया गया है।”
महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल
यह वारदात केवल एक हत्या नहीं है, बल्कि महिला सुरक्षा के उन दावों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है जो बार-बार सरकारें और समाज करते आए हैं। एक महिला, जिसे जीवनभर सुरक्षा देने की शपथ लेकर घर लाया गया, केवल सात दिन में उस शख्स ने उसका जीवन छीन लिया। सवाल यह भी है कि एक सजायाफ्ता हत्यारा खुलेआम समाज में घूम कैसे रहा था? क्या पुनर्वास की व्यवस्था असफल रही?
अब कौन देगा आरती को न्याय?
आरती के पिता, जिन्होंने अपनी बेटी को नई शुरुआत के लिए विदा किया था, अब गहरे सदमे में हैं। उन्होंने राजू के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं स्थानीय महिलाओं में भी आक्रोश है। उन्होंने चौबेपुर थाने में प्रदर्शन कर राजू को फांसी देने की मांग की है।
क्या यह आखिरी आरती होगी?
यह सवाल भी सामने आ रहा है कि क्या यह वारदात आखिरी होगी? क्या समाज, कानून और पुलिस ऐसे सजायाफ्ता अपराधियों को समय रहते रोक पाएंगे? क्या विवाह संस्था के नाम पर महिलाओं के साथ होते अत्याचार पर लगाम लगेगी?
वाराणसी की इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। अब ज़रूरत है जागरूकता, शिक्षा और सख्त क़ानून की, ताकि आरती जैसी और बेटियों की ज़िंदगी संदेह, नशा और हिंसा के अंधेरे में ना बुझ जाए।