उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद के टांडा कस्बे से एक हैरतअंगेज और खतरनाक खबर सामने आई है जिसने खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। टांडा निवासी Shehzad को उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS) ने पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। शहजाद की गतिविधियों ने न केवल भारत की सुरक्षा को खतरे में डाला, बल्कि देश के भीतर चल रहे ISI के गुप्त नेटवर्क की गहराई को भी उजागर किया है।
शहजाद ने अब तक तीन बार पाकिस्तान और दस बार सऊदी अरब की यात्रा की है। इन यात्राओं की आड़ में वह तस्करी से लेकर जासूसी तक के काम में संलिप्त रहा। विशेष बात यह रही कि एक बार वह अपनी पत्नी को भी पाकिस्तान ले गया था। जानकारों के अनुसार, इन यात्राओं का उद्देश्य केवल धार्मिक या पारिवारिक नहीं था, बल्कि इसके पीछे ISI का गहरा षड्यंत्र छिपा था।
18 मई को जब ATS ने शहजाद को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया, तब किसी को अंदेशा नहीं था कि यह गिरफ्तारी इतनी बड़ी साजिश से जुड़ी होगी। प्रारंभिक जांच में ही यह स्पष्ट हो गया कि शहजाद का संबंध पाकिस्तान की ISI से है और वह भारत में रहकर उनकी मदद कर रहा है।
शहजाद की जिंदगी की शुरुआत एक साधारण ड्राइवर के रूप में हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे वह गैरकानूनी गतिविधियों में उतरता गया। उसने सबसे पहले कॉस्मेटिक्स, मसाले और कपड़ों की तस्करी शुरू की। इसी तस्करी के जरिए उसका संपर्क पाकिस्तान के एजेंटों से हुआ और फिर वह उनके लिए काम करने लगा।
ATS की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि शहजाद ने भारत में ISI एजेंटों को फर्जी नाम और पते पर सिम कार्ड दिलवाए। इन सिम कार्ड्स का उपयोग भारत में रहकर पाकिस्तान में बैठे ISI के हैंडलर्स से संपर्क साधने के लिए किया जाता था। ये सिम कार्ड्स शहजाद के नेटवर्क के माध्यम से देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाए गए।
सिर्फ सिम कार्ड ही नहीं, शहजाद आईएसआई एजेंटों को आर्थिक मदद भी करता था। वह हवाला नेटवर्क के जरिये रुपए की आपूर्ति करता था। इसके अलावा, उन लोगों के लिए फर्जी दस्तावेज, पहचान पत्र और वीजा भी बनवाता था जिन्हें ISI पाकिस्तान भेजना चाहती थी।
शहजाद के बारे में यह भी जानकारी मिली है कि उसने तस्करी के बहाने कई भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान भेजा। इन यात्राओं के लिए जरूरी कागजात ISI एजेंटों द्वारा तैयार कराए गए थे। शक है कि इन यात्राओं में कई लोग भारत विरोधी प्रशिक्षण लेकर वापस लौटे हैं।
ATS और अन्य खुफिया एजेंसियों ने शहजाद के टांडा स्थित घर और उसके संपर्क में आए लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है। इनसे जुड़ी जानकारी के आधार पर कई अन्य संदिग्धों की सूची तैयार की गई है। एजेंसियों को आशंका है कि शहजाद अकेला नहीं था, बल्कि उसके साथ एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा था।
शहजाद की गिरफ्तारी के बाद टांडा और रामपुर जिला खुफिया एजेंसियों की विशेष निगरानी में आ गया है। वहां रह रहे कुछ अन्य लोगों पर भी एजेंसियों की नजर है, जो शहजाद के संपर्क में रहे हैं। ATS अब उनके मोबाइल डेटा, बैंकिंग गतिविधियों और विदेश यात्राओं की भी जांच कर रही है।
यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारत के भीतर नेटवर्क फैलाने में कितनी सक्रिय है। शहजाद जैसे एजेंट तस्करी, सिम कार्ड, हवाला और फर्जी दस्तावेजों की मदद से देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। अगर समय रहते ऐसे तत्वों पर लगाम न लगे, तो यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।
एटीएस के सूत्रों के अनुसार, अब इस केस को एनआईए और रॉ जैसी केंद्रीय एजेंसियों के साथ साझा किया गया है। जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है ताकि ISI नेटवर्क की गहराई और उसका संपूर्ण स्वरूप सामने लाया जा सके। इस केस से जुड़ी कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।
शहजाद की गिरफ्तारी के बाद टांडा में एक भय का वातावरण बन गया है। स्थानीय लोग हैरान हैं कि उनका जानने-पहचानने वाला व्यक्ति इतने बड़े देशविरोधी काम में लिप्त था। वहीं पुलिस की लगातार छापेमारी और पूछताछ ने भी लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
जांच की गहराई और इस जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ यह दर्शाता है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं, लेकिन साथ ही यह भी सच है कि देश के भीतर ऐसे तत्व अब भी सक्रिय हैं जो पैसे और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए देश से गद्दारी करने को तैयार हैं। शहजाद की गिरफ्तारी इस लड़ाई में एक बड़ी सफलता है, लेकिन यह अंत नहीं, बल्कि एक लंबे संघर्ष की शुरुआत है।