
Ayodhya जिले में शनिवार की रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे क्षेत्र को सन्न कर दिया। तारुन थाना क्षेत्र के बारा गांव में ट्यूबवेल के बाहर सो रहे रिटायर्ड सहकारी कुर्क अमीन कर्मराज यादव (65) की नृशंस हत्या कर दी गई।
चारों ओर खून के छींटे, दीवारें भी नहीं रहीं महफूज
यह हत्या इतनी बर्बरता से की गई थी कि खून के छींटे दीवारों तक जा पहुंचे। घटनास्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार, धारदार हथियार से लगातार वार किए गए जिससे खून काफी दूर तक फैला हुआ था। खेत में लगे ट्यूबवेल के पास बने छप्पर के नीचे तख्त पर कर्मराज यादव अपनी नींद में ही हमेशा के लिए खामोश हो गए।
जमीन विवाद बना खून-खराबे की वजह?
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह हत्या संभवतः जमीन विवाद को लेकर की गई है। मृतक कर्मराज यादव के परिवार ने बताया कि कुछ समय से गांव के ही कुछ लोगों के साथ ज़मीन को लेकर कहासुनी चल रही थी। इसी कड़ी में शक की सुई दो आरोपियों पर जा टिकी, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
ग्रामीणों में दहशत, कहा- ‘अब खेत में सोने से डर लगने लगा है’
गांव वालों के बीच डर का माहौल है। एक ग्रामीण रामसहाय ने बताया, “कर्मराज भइया बहुत सीधे-साधे थे। कभी किसी से ऊँची आवाज़ में बात तक नहीं करते थे। अगर ऐसे लोगों की हत्या हो सकती है तो अब कोई भी सुरक्षित नहीं।”
रात के सन्नाटे में खून से सनी कहानी, गांव में पसरा सन्नाटा
शनिवार की रात अंधेरे में हुई यह वारदात रविवार की सुबह तब सामने आई जब खेत की ओर गए कुछ लोगों ने शव को खून से लथपथ हालत में देखा। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। गांव में मातम छा गया है और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
पुलिस का ऐक्शन मोड: शक के आधार पर दो हिरासत में
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की तलाश की जा रही है और आरोपियों से गहन पूछताछ जारी है। हत्या के पीछे अगर जमीन विवाद की पुष्टि होती है तो अन्य संलिप्तों की भी गिरफ्तारी संभव है।
सेवानिवृत्ति के बाद खेत ही बना कर्मराज यादव का ठिकाना
कर्मराज यादव के बारे में जानकारी देते हुए उनके बेटे ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद वे अपना ज्यादातर समय खेत में ही बिताते थे। ट्यूबवेल पर ही उन्होंने एक छोटा सा छप्पर बनवाया था, जहां पर वे रात को आराम करते थे। उन्हें खेतों से बहुत लगाव था, लेकिन यह स्थान ही उनके जीवन का अंतिम पड़ाव बन जाएगा, किसी ने नहीं सोचा था।
इलाके में बढ़े क्राइम को लेकर लोगों में नाराज़गी
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इलाके में पिछले कुछ महीनों में अपराधों में वृद्धि हुई है और पुलिस इन पर अंकुश लगाने में विफल रही है। घटना के विरोध में ग्रामीणों ने रविवार शाम को कैंडल मार्च निकाल कर आरोपियों को फांसी देने की मांग की।
‘कानून का डर खत्म हो गया है’, बोले सामाजिक कार्यकर्ता
सामाजिक कार्यकर्ता अजय मिश्रा ने कहा, “अगर एक बुजुर्ग की ट्यूबवेल के बाहर हत्या कर दी जाती है, तो यह कानून और व्यवस्था की विफलता है। ज़मीन के नाम पर हो रही हिंसा पर तुरंत नियंत्रण की ज़रूरत है।”
जांच में जुटी पुलिस की फॉरेंसिक टीम
फॉरेंसिक टीम ने मौके से सबूत जुटाए हैं। खून के नमूने, फुटप्रिंट्स और अन्य संभावित डीएनए साक्ष्यों को परीक्षण के लिए भेजा गया है। पुलिस इस मामले में वैज्ञानिक तरीकों से जांच कर रही है ताकि हत्यारों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके।
कब मिलेगा न्याय? परिवार की एक ही पुकार
मृतक के परिजनों की आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि वे बस न्याय चाहते हैं। उन्होंने मांग की है कि इस जघन्य हत्याकांड में शामिल हर व्यक्ति को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सजा दी जाए।
ग्रामीणों में उबाल, धरना प्रदर्शन की चेतावनी
ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे जिला मुख्यालय पर धरना देंगे। उन्होंने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है ताकि कोई और ऐसा कृत्य करने की हिम्मत न कर सके।
इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या अब खेत-खलिहान भी सुरक्षित नहीं रहे? कर्मराज यादव की हत्या से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच अभी जारी है, लेकिन सवाल यह है कि कब तक निर्दोष लोग ऐसे ही मार दिए जाते रहेंगे और कब प्रशासन सख्ती से ऐसे अपराधों पर लगाम लगाएगा?