
Ayodhya में स्थित राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार कारण बेहद गंभीर और चिंताजनक है। मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती किए गए एक बुजुर्ग मरीज नरेंद्र बहादुर सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि मरीज को इंजेक्शन का ओवरडोज दिया गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
परिवार का दर्द: पिता को नहीं मिलेगा न्याय तो नहीं उठाएंगे शव
मृतक की बेटियों ने अपने आक्रोश को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक नहीं पहुंचेगी, तब तक वे अपने पिता का शव नहीं ले जाएंगे। परिवार का आरोप है कि इलाज के दौरान वार्ड बॉय और स्टाफ नर्स ने घोर लापरवाही की, जिससे यह दर्दनाक हादसा हुआ।
रजौरा गांव के बुजुर्ग को बीपी और शुगर की थी पुरानी बीमारी
जानकारी के मुताबिक, बीकापुर कोतवाली क्षेत्र के रजौरा गांव के निवासी नरेंद्र बहादुर सिंह को लंबे समय से ब्लड प्रेशर और शुगर की शिकायत थी। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें उनकी बेटियों ने गुरुवार की शाम राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। शुरुआती जांच के बाद उन्हें कुछ दवाइयां और इंजेक्शन दिए गए।
इंजेक्शन के ओवरडोज से बिगड़ी हालत, फिर थम गई सांसें
परिजनों का दावा है कि जिस इंजेक्शन की डोज डॉक्टर ने निर्धारित की थी, उससे कहीं अधिक मात्रा में दवा मरीज को दे दी गई। कुछ ही समय बाद बुजुर्ग की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी और कुछ घंटों में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
प्राचार्य ने लिया संज्ञान, स्टाफ पर त्वरित कार्रवाई
मामला सामने आते ही कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने तुरंत संज्ञान लिया और प्रारंभिक जांच के बाद वार्ड बॉय अखिलेश और संबंधित स्टाफ नर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि, “जांच की प्रक्रिया जारी है और यदि अन्य कर्मचारी भी दोषी पाए जाते हैं, तो उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
परिजनों का अस्पताल प्रशासन पर गुस्सा, परिसर में किया विरोध प्रदर्शन
नरेंद्र बहादुर सिंह की मौत के बाद परिजनों ने मेडिकल कॉलेज परिसर में जमकर हंगामा किया। उन्होंने स्टाफ पर इंसानियत भूल जाने का आरोप लगाया और कहा कि अस्पताल में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
यूपी के सरकारी अस्पतालों में लगातार बढ़ रही हैं लापरवाही की घटनाएं
उत्तर प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों से लगातार लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ महीने पहले भी कानपुर के एक सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान लापरवाही से मरीज की मौत हो गई थी। इससे पहले प्रयागराज में भी एक महिला की डिलीवरी के दौरान लापरवाही से मौत का मामला सामने आया था।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल, कहां है जवाबदेही?
इन घटनाओं ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों ऐसे संस्थानों में बार-बार लापरवाही के मामले हो रहे हैं और क्यों नहीं कोई ठोस सुधार हो रहा है?
क्या सख्त कार्रवाई से सुधरेगा सिस्टम?
हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई कर वार्ड बॉय और नर्स को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या इतनी कार्रवाई पर्याप्त है? क्या यह उदाहरण बनेगा या कुछ ही समय बाद यह मामला भी अन्य मामलों की तरह भुला दिया जाएगा?
प्रदेश सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं
अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय या स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसे में परिजनों की यह मांग जायज लगती है कि मुख्यमंत्री स्वयं इस मामले में दखल दें।
आमजन में भय और अविश्वास का माहौल
इस घटना के बाद आमजन में डर और स्वास्थ्य संस्थानों पर अविश्वास का भाव और भी गहरा गया है। जो संस्थान मरीजों की सेवा के लिए बनाए गए थे, वहीं अब लोगों की जान पर बन आ रही है।
मरीजों की सुरक्षा को लेकर फिर उठे सवाल
स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा क्षेत्र है जहां किसी भी प्रकार की लापरवाही सीधे किसी की जिंदगी को खतरे में डाल देती है। इस घटना ने फिर एक बार यह साफ कर दिया है कि मरीजों की सुरक्षा और अधिकार अब प्राथमिकता नहीं रहे।
इस खबर से यह साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सुधार की सख्त जरूरत है। अयोध्या मेडिकल कॉलेज में हुई यह दुखद घटना न सिर्फ एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि पूरे सिस्टम की असफलता को उजागर करती है। जरूरत है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से लें और दोषियों को सख्त सजा दिलाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।