
हिंदी पत्रकारिता ने देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में हमेशा एक मजबूत भूमिका निभाई है। वर्ष 2025 में, जब हम इस परंपरा के 199वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तो यह अवसर और भी विशिष्ट बन गया जब लखनऊ स्थित हिंदी संस्थान में आयोजित एक भव्य समारोह (Hindi Journalism Day) में पत्रकारिता, साहित्य और हिंदी भाषा को समर्पित विभिन्न विभूतियों को सम्मानित किया गया।
श्याम कुमार की अगुवाई में आयोजित हुआ शानदार आयोजन
रंग भारती संस्था एवं पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्याम कुमार द्वारा संयोजित इस आयोजन में हिंदी भाषा के प्रति समर्पित पत्रकारों और साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने की, जिन्होंने मंच से स्पष्ट रूप से कहा कि, “हिंदी पत्रकारिता सिर्फ खबरों का माध्यम नहीं, बल्कि जनमानस की आवाज है।”
विशिष्ट सम्मान: बाबू राव विष्णु पराड़कर रंग सम्मान ओम प्रकाश पांडे के नाम
इस समारोह में हिंदी पत्रकारिता और साहित्य में विशेष योगदान देने वाले ओम प्रकाश पांडे को प्रतिष्ठित बाबू राव विष्णु पराड़कर रंग सम्मान से नवाजा गया। यह पुरस्कार हिंदी पत्रकारिता के प्रति उनके अद्वितीय योगदान की एक स्वीकृति है।
लक्ष्मी नारायण गरदे एवं रंग भारती सम्मान की भी हुई घोषणा
लक्ष्मी नारायण गरदे एवं रंग भारती सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे गए व्यक्तित्वों में नरेंद्र भदोरिया, रामसागर रामकृष्ण खंदेलकर, अमृत चंद्र त्रिपाठी, रामदत्त त्रिपाठी, और प्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ शामिल रहे। ये सभी अपने-अपने क्षेत्र में हिंदी भाषा के संवर्धन के प्रतीक बन चुके हैं।
हिंदी पत्रकारिता के स्तंभों को दी गई खास पहचान
कार्यक्रम में उपस्थित रहे अनुभवी पत्रकारों और संपादकों की भी भरपूर सराहना की गई। विजय शंकर, पंकज, अनिल भारद्वाज, और यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) के पूर्व ब्यूरो प्रमुख सुरेंद्र दुबे, विशेष संवाददाता जेपी त्यागी, और सूचना विभाग के सहायक निदेशक दिनेश गर्ग ने हिंदी पत्रकारिता को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनी शख्सियतें
सम्मान प्राप्त करने वालों में शिशुपाल सिंह समेत कई और वरिष्ठ हस्तियां भी थीं जिन्होंने दशकों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में ईमानदारी और समर्पण से कार्य किया। यह आयोजन न केवल उनके योगदान को सराहने का अवसर था बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी बन गया।
हिंदी पत्रकारिता का बदलता स्वरूप और उसकी चुनौतियां
आज के डिजिटल युग में जहां फेक न्यूज़ और टीआरपी की होड़ बढ़ गई है, वहीं ऐसे आयोजनों की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है जो सच्ची पत्रकारिता की मिसाल पेश करें। दयाशंकर सिंह ने कहा, “यह समय है जब पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, जनसेवा की तरह देखा जाए।”
राज्य स्तर पर बढ़ती है हिंदी भाषा को सम्मान
हिंदी भाषा और पत्रकारिता के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए मंत्री ने बताया कि जल्द ही हिंदी पत्रकारों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर और नवोदित पत्रकारों के लिए स्कॉलरशिप योजनाएं शुरू की जाएंगी।
हिंदी साहित्य और पत्रकारिता का अनमोल संगम
कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों ने बताया कि हिंदी पत्रकारिता और साहित्य एक-दूसरे के पूरक हैं। अज्ञेय जैसे साहित्यकारों ने पत्रकारिता में भी अपनी छाप छोड़ी है। आज के दौर में यह बेहद जरूरी है कि पत्रकारिता भी साहित्यिक मूल्यों को अपनाए।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बढ़ाया आयोजन का आकर्षण
कार्यक्रम में रंग भारती संस्था द्वारा प्रस्तुत किए गए नाटक और संगीत कार्यक्रम ने माहौल को सांस्कृतिक रंगों से भर दिया। दर्शकों ने भावविभोर होकर प्रस्तुति का आनंद लिया और यह आयोजन हिंदी प्रेमियों के लिए यादगार बन गया।
हिंदी पत्रकारिता को मिल रहा है नया सम्मान
इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि हिंदी पत्रकारिता अब केवल भाषा का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का औजार बन चुकी है। हिंदी संस्थान में आयोजित यह सम्मान समारोह पत्रकारिता की गरिमा को एक नई पहचान देने में सफल रहा।
इस शानदार आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि हिंदी पत्रकारिता न केवल इतिहास की विरासत है, बल्कि भविष्य की दिशा भी तय कर सकती है। जब समर्पण और सम्मान साथ-साथ चलते हैं, तो पत्रकारिता समाज का आइना ही नहीं, उसका मार्गदर्शक भी बन जाती है।