Budaun में एक बार फिर से आर्थिक घोटाले की एक चौंकाने वाली कहानी सामने आई है। अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड नामक कंपनी पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का आरोप लगा है। यह कंपनी पिछले तीन दशकों से छोटे निवेशकों को आरडी (Recurring Deposit) और एफडी (Fixed Deposit) में भारी रिटर्न का लालच देकर पैसे जमा करवा रही थी। लेकिन अब हजारों निवेशकों के सपने चकनाचूर हो चुके हैं।
कंपनी के निदेशक शशिकांत मौर्य समेत 100 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज
रविवार को बदायूं के थाना कोतवाली में अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड के निदेशक शशिकांत मौर्य और सौ अन्य कर्मचारियों और एजेंट्स के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। एसएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन कर दिया है। यह टीम अब पूरे मामले की तहकीकात करेगी कि कैसे इतनी बड़ी रकम बिना किसी जांच-पड़ताल के लोगों से जमा करवाई गई।
SIT जांच की शुरुआत: न्याय की उम्मीद जगी
एसएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा है कि जिन लोगों ने निवेशकों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाला है, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। एसआईटी की इस सक्रियता ने उन निवेशकों को थोड़ी राहत दी है जो अब तक निराश और हताश थे।
तीन दशक से चल रही थी यह ठगी की स्कीम
अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड ने अपनी शुरुआत 1990 के दशक में की थी। शुरुआत में छोटे स्तर पर काम करने वाली इस कंपनी ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारते हुए पूरे बदायूं जिले में अपनी शाखाएं खोल लीं। स्थानीय एजेंटों के जरिए यह कंपनी लोगों से एफडी और आरडी में निवेश करवाती थी। खास बात यह थी कि कंपनी ने निवेशकों को पांच साल में रकम दोगुनी करने का वादा किया था।
निवेशकों का छलावा: अब तक नहीं मिला पैसा
कई निवेशकों का पैसा पिछले साल ही परिपक्व हो चुका था लेकिन कंपनी लगातार टालमटोल करती रही। “आज आओ”, “कल आओ”, “ऑफिस बंद है”, “मैनेजर बाहर गए हैं”—ऐसे बहाने बनाकर उन्हें गुमराह किया जाता रहा। अब हालत यह है कि कंपनी के मीरा सराय स्थित दफ्तर पर ताला लटका हुआ है और एजेंट्स के फोन भी बंद आ रहे हैं।
‘ऑफिस खुला है’ के नोटिस की सच्चाई क्या?
कंपनी ने अपने ऑफिस के बाहर एक नोटिस चस्पा कर रखा है जिसमें लिखा है कि “ऑफिस खुला है” लेकिन विडंबना यह है कि दो दिनों से लगातार ऑफिस बंद पड़ा है। इससे यह सवाल उठता है कि अगर कंपनी सब कुछ पारदर्शी तरीके से चला रही है तो दफ्तर क्यों बंद है? एजेंट और कर्मचारी क्यों गायब हैं?
निवेशकों की आपबीती: ‘हमारी जिंदगी की कमाई डूब गई’
बदायूं की निवासी रेखा देवी, जो एक विधवा हैं, ने 5 लाख रुपये की एफडी इस उम्मीद से करवाई थी कि अपने बेटे की पढ़ाई और बेटी की शादी के लिए पैसे जोड़ेंगी। लेकिन अब उन्हें डर सता रहा है कि यह पैसा शायद कभी वापस न मिले।
एक अन्य निवेशक, रामपाल सिंह ने कहा, “मैंने और मेरे भाइयों ने मिलकर 10 लाख रुपये जमा किए थे। हमें कहा गया था कि पांच साल में 20 लाख बन जाएंगे। अब हमारी मेहनत की कमाई कहीं नजर नहीं आ रही है।”
राजनीतिक सरगर्मी तेज, विपक्ष का हमला
इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक प्रशासन का संरक्षण न हो, तब तक कोई भी कंपनी इतनी बड़ी ठगी नहीं कर सकती। हालांकि प्रशासन का कहना है कि इस मामले में पूरी निष्पक्षता से जांच की जा रही है।
क्या था कंपनी का नेटवर्क और कैसे फैला जाल?
अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड का नेटवर्क सिर्फ बदायूं तक सीमित नहीं था। इसका विस्तार आस-पास के जिलों, जैसे कि बरेली, शाहजहांपुर, और मुरादाबाद तक था। कंपनी के करीब 100 से अधिक एजेंट हर क्षेत्र में तैनात थे जो गांव-गांव जाकर निवेशकों को झांसा देते थे। कुछ एजेंटों ने तो यह तक दावा किया था कि कंपनी को सरकार से अनुमति प्राप्त है और यह पूरी तरह से वैध है।
धोखाधड़ी का पैटर्न: रिटर्न का सपना और गायब हो गई रकम
अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड का फॉर्मूला बेहद साधारण लेकिन चालाकी से भरा था। कंपनी लोगों को यह विश्वास दिलाती थी कि यह एक मान्यता प्राप्त निधि कंपनी है। एजेंट्स निवेशकों को घर जाकर फॉर्म भरवाते, पहचान पत्र लेते और तुरंत रसीद भी थमा देते। लेकिन अब वही एजेंट्स फरार हैं और कार्यालय में सन्नाटा पसरा है।
कब होगी कार्रवाई और क्या हैं आगे के रास्ते?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या निवेशकों को उनका पैसा मिलेगा? क्या एसआईटी दोषियों तक पहुंच पाएगी? क्या शशिकांत मौर्य और अन्य आरोपी कानून के शिकंजे में आएंगे?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में जांच के आधार पर सामने आएंगे। लेकिन एक बात साफ है कि यह मामला बदायूं की अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी में से एक है।
इस सनसनीखेज घोटाले ने पूरे बदायूं जिले को हिला कर रख दिया है। हजारों आम निवेशकों की मेहनत की कमाई खतरे में पड़ चुकी है। अब सभी की निगाहें एसआईटी की जांच और प्रशासनिक कार्यवाही पर टिकी हैं। क्या दोषियों को सजा मिलेगी और क्या निवेशकों को उनका हक मिल पाएगा—यह आने वाला समय ही बताएगा।