सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है, जिसमें पुलिस को ‘सहयोग पोर्टल’ के माध्यम से मनमाने ढंग से सामग्री हटाने का अधिकार दिया गया है। कंपनी का कहना है कि यह व्यवस्था न्यायिक समीक्षा के बिना ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाती है। एलन मस्क की कंपनी का दावा है कि यह सिस्टम यूजर्स के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।

X ने कहा कि सहयोग पोर्टल के माध्यम से पुलिस बिना किसी न्यायिक समीक्षा के सामग्री हटाने का आदेश दे सकती है। कंपनी ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और यूजर्स के अधिकारों के लिए खतरा बताया है। एक्स का तर्क है कि यह नई व्यवस्था कानून का समर्थन नहीं करती है और आईटी अधिनियम की धारा 69ए का उल्लंघन करती है, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अनदेखी करती है और भारतीय नागरिकों के फ्रीडम ऑफ स्पीच के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
एक्स का आरोप है कि सहयोग पोर्टल पुलिस को ऐसा अधिकार देता है जिसके तहत वे केवल ‘गैर-कानूनी’ बताकर सामग्री हटाने का आदेश जारी कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में न तो कोर्ट की समीक्षा होती है और न ही स्पीकर को अपनी बात रखने का मौका मिलता है। इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनावश्यक दबाव बनता है।
पिछले हफ्ते कर्नाटक हाई कोर्ट ने X की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कंपनी ने कंटेंट रिमूवल मैकेनिज्म को चुनौती दी थी। कोर्ट ने माना कि भारत सरकार के नियमों में कोई कानूनी खामी नहीं है। इसके बाद अब X ने इस आदेश को उच्च अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है।
भारत सरकार का कहना है कि सहयोग पोर्टल जैसे सिस्टम का मकसद केवल अवैध और हानिकारक सामग्री पर रोक लगाना है। सरकार का दावा है कि इंटरनेट पर बढ़ते फेक न्यूज और गलत सूचना को नियंत्रित करने के लिए यह कदम जरूरी है और इससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
यह पहली बार नहीं है जब X और भारत सरकार आमने-सामने आए हैं। बीते वर्षों में भी कंपनी ने सामग्री ब्लॉकिंग और सेंसरशिप जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियों का विरोध किया है। खुद एलन मस्क कई बार कह चुके हैं कि वे ‘फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट’ हैं और किसी भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी से समझौता नहीं करेंगे।
भारत सरकार ने 2023 से इंटरनेट पर नियंत्रण कड़ा कर दिया है। अब दो मिलियन से ज्यादा अधिकारी सहयोग पोर्टल के माध्यम से सीधे टेक कंपनियों को सामग्री हटाने का आदेश भेज सकते हैं। इस कदम से कंपनियों पर और ज्यादा दबाव बढ़ गया है, जिसे X खुलकर चुनौती दे रही है।





