आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। OpenAI, जो ChatGPT जैसी प्रसिद्ध सेवाओं के पीछे है, भारत में अपना पहला डेटा सेंटर खोलने की तैयारी कर रहा है। यह कदम भारत को तकनीकी रूप से मजबूत करेगा और आने वाले समय में यहां AI सेवाओं और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। लेकिन, सवाल यह है कि डेटा सेंटर वास्तव में क्या है? यह कैसे काम करता है, और यह हमारे लिए कैसे उपयोगी है? इसके अलावा, पानी और बिजली की खपत जैसी चुनौतियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
डेटा सेंटर को एक डिजिटल लाइब्रेरी की तरह समझा जा सकता है। जिस तरह एक लाइब्रेरी में किताबें व्यवस्थित रूप से रखी जाती हैं और लोग उन्हें पढ़ने या लेने आते हैं, उसी तरह डेटा सेंटर में सर्वर और स्टोरेज डिवाइस होते हैं जिनमें वेबसाइटें, ऐप्स, ईमेल, फोटो, वीडियो और इंटरनेट से जुड़ी हर चीज संग्रहीत होती है।
जब आप YouTube पर वीडियो देखते हैं, Netflix पर मूवी स्ट्रीम करते हैं, या Google पर कुछ खोजते हैं, तो ये सभी डेटा सेंटर से आपके मोबाइल या कंप्यूटर तक पहुंचते हैं।
यह डेटा सेंटर हमारी दैनिक डिजिटल लाइफ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, जब आप YouTube या Netflix पर वीडियो देखते हैं, तो वह डेटा सेंटर के सर्वर से स्ट्रीम होता है। ऑनलाइन शॉपिंग में उत्पादों का विवरण डेटा सेंटर में सहेजा जाता है। क्लाउड स्टोरेज जैसे Google Drive या Google Photos पर आपकी फोटो और फाइलें डेटा सेंटर में सुरक्षित रहती हैं। ये 24/7 उपलब्ध रहते हैं। ये सर्वर लगातार चलते रहते हैं ताकि आपको तुरंत जानकारी मिल सके।
डेटा सेंटर चलाने के लिए बहुत अधिक बिजली और पानी की आवश्यकता होती है। सर्वर लगातार चलते हैं और गर्मी उत्पन्न करते हैं, जिन्हें ठंडा करने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, एक 1 मेगावाट का छोटा डेटा सेंटर प्रति वर्ष 2.6 करोड़ लीटर पानी का उपयोग करता है। OpenAI भारत में जो डेटा सेंटर बनाने जा रहा है, वह 1 गीगावाट तक हो सकता है। ऐसे में पानी और बिजली का खर्च भी काफी होगा। हालांकि, अब कंपनियां ग्रीन डेटा सेंटर पर जोर दे रही हैं जो सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से चलते हैं।
यह भारत में ChatGPT जैसी सेवाओं की गति और गुणवत्ता में सुधार करेगा। इसके माध्यम से, टेक सेक्टर में हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी और भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा देश के अंदर संग्रहीत होने से सुरक्षा बढ़ेगी।