ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ईरान की शक्तिशाली सैन्य इकाई इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। इसके साथ ही, ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के राजदूत को देश से निष्कासित कर दिया और राजनयिक संबंध भी तोड़ लिए हैं।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ऑस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी ASIO ने ईरान पर यहूदी विरोधी हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है। एजेंसी के अनुसार, सिडनी के लुईस कॉन्टिनेंटल किचन और मेलबर्न के अदास इजराइल सिनेगॉग पर हुए हमलों में ईरानी सरकार और उसकी इसी सैन्य इकाई का हाथ था। आइए जानते हैं IRGC के बारे में, जिसे ऑस्ट्रेलिया के अलावा 5 देश पहले से ही आतंकी संगठन मानते हैं।
IRGC का फुल फॉर्म इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स है। यह ईरान की सबसे ताकतवर सैन्य और खुफिया इकाई है, जिसकी स्थापना 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद की गई थी। स्थापना के समय इसका मूल उद्देश्य था: इस्लामी क्रांति और व्यवस्था की रक्षा करना, आंतरिक और बाहरी दुश्मनों से निपटना और सेना पर धार्मिक नेतृत्व का नियंत्रण बनाए रखना।
आज IRGC के पास 1.25 लाख से ज्यादा सैनिक हैं। यह सिर्फ जमीनी सेना तक सीमित नहीं है, बल्कि अपनी अलग नौसेना और वायुसेना भी चलाता है। इसके पास मिसाइल प्रोग्राम, ड्रोन, स्पीडबोट्स और साइबर यूनिट जैसी क्षमताएं हैं। दशकों में, यह संगठन न केवल सैन्य ताकत बल्कि राजनीति, शिक्षा और अर्थव्यवस्था में भी अपना प्रभाव फैला चुका है।
कहा जाता है कि यह ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई के प्रति सबसे वफादार इकाई है। कभी इसे मध्य पूर्व का सबसे बड़ा मिसाइल प्रोग्राम संचालित करने वाला संगठन माना जाता था, हालांकि हाल ही में इजराइल के हमलों में ईरान की परमाणु साइट्स और मिसाइल सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचा।
ऑस्ट्रेलिया से पहले, कई देश IRGC को आतंकी संगठन मान चुके हैं। अमेरिका ने 2019 में डोनाल्ड ट्रंप के अधीन इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया। कनाडा ने 2024 में इसे आतंकी इकाई सूची में शामिल किया, खासकर हिजबुल्लाह और हमास जैसे समूहों से इसके संबंधों को आधार बनाया। सऊदी अरब और बहरीन ने 2018 में यमन युद्ध के दौरान, जब हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिल रहा था, इसे आतंकी घोषित किया। पैराग्वे ने 2025 में इसे अपनी आतंकी सूची में जोड़ा। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने अब तक आधिकारिक तौर पर ऐसा कदम नहीं उठाया है, लेकिन दोनों ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में वे ऐसा कर सकते हैं।
ईरान की राजनीति में पूर्व रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) अफसरों ने कई अहम पद संभाले हैं। सर्वोच्च नेता की देखरेख में काम करने वाला IRGC अक्सर राष्ट्रपति से भी ज्यादा ताकतवर माना जाता है और विदेश नीति पर इसका प्रभाव कहीं अधिक समझा जाता है। यह संगठन कुछ शैक्षणिक संस्थानों को भी चलाता है और अंतरिक्ष अनुसंधान व ड्रोन तकनीक में निवेश कर अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाता रहा है। माना जाता है कि पश्चिमी पाबंदियों को चकमा देकर ईरान के तेल निर्यात जारी रखने वाले गुप्त टैंकर नेटवर्क के पीछे भी IRGC का ही हाथ है।