इस्लामिक आर्मी के कॉन्सेप्ट को लॉन्च किए जाने के बीच ब्रिटेन में भी अशांति देखी जा रही है। सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, आजादी के नारे लगने लगे। ब्रिटेन, जिसने सदियों तक दुनिया पर शासन किया, जहां कभी सूरज अस्त नहीं होता था, आज एक अज्ञात खतरे के साये में जी रहा है। वहां के मूल निवासियों को खुद के गुलाम होने का डर सता रहा है, उन्हें अपनी स्वतंत्रता खतरे में दिख रही है। यह चिंता क्यों है, आइए जानते हैं?
दरअसल, ब्रिटेन के नागरिक अब कह रहे हैं कि देश में बढ़ रहे अप्रवासी उनकी आजादी छीन रहे हैं। इसके खिलाफ लाखों लोगों ने लंदन की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। ‘यूनाइट द किंगडम’ नाम से निकाली गई रैली में प्रदर्शनकारी वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर मार्च करते हुए पहुंचे। हर तरफ ब्रिटेन के झंडे लहराते दिखे। आयोजकों का दावा है कि विरोध प्रदर्शन में दस लाख लोग शामिल हुए। यह प्रदर्शन उन होटलों के बाहर शुरू हुआ, जहां शरणार्थियों को जगह दी जाती है।
इस दौरान ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर सरकार के खिलाफ नारेबाजी हुई। प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘हमें अपना वतन वापस चाहिए। अप्रवासियों को हर हाल में वापस भेजो।’ इंग्लिश चैनल पार कर ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों को रोकने की मांग की गई। कहा गया कि ब्रिटेन के मूल नागरिक अब अप्रवासियों का बोझ और नहीं झेलेंगे। वे लड़ेंगे और अपनी असली पहचान बचाएंगे।
गुस्से की इस लहर के पीछे ब्रिटेन में मूल नागरिकों की घटती संख्या है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक मूल ब्रिटिश नागरिकों की आबादी घटकर 57% तक रह जाएगी। 2063 तक मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे। 2075 तक वे कुल आबादी का 44% रह जाएंगे और इस सदी के अंत तक उनकी आबादी केवल 33% रह जाएगी।
पिछले कुछ वर्षों से अप्रवासियों की बाढ़ सी आ गई है। 2022 में 7 लाख 64 हजार अप्रवासी पहुंचे तो 2023 में यह संख्या 6 लाख 85 हजार थी। पिछले साल 4 लाख 30 हजार अप्रवासी ब्रिटेन पहुंचे जबकि इस साल जून तक एक लाख से ज्यादा लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया है। लोगों को लग रहा है कि अप्रवासी उनके आर्थिक अवसर और सांस्कृतिक पहचान छीन रहे हैं। ब्रिटेन में 40 लाख मुस्लिम अप्रवासी हैं जो कुल आबादी का 6.5 प्रतिशत हैं, वहीं हिंदू अप्रवासियों की संख्या 12 लाख है। ईसाई, सिख और अन्य अप्रवासी 57 लाख हैं।
ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी सबसे तेजी से बढ़ी है। पिछले 25 वर्षों में इनकी आबादी दोगुनी हो गई है। 2001 में 16 लाख मुस्लिम थे जो 3% थे, अब 40 लाख मुस्लिम हैं जो 6.5% हैं। 2050 तक 1 करोड़ 40 लाख मुस्लिम होंगे जो 17.2% होंगे। 2011 में 27 लाख मुस्लिम थे जो 2021 में 39 लाख हो गए यानी 10 साल में 12 लाख से ज्यादा बढ़ोतरी हुई। ब्रिटेन में 85 शरिया अदालतें हैं।
2024 में मुस्लिम विरोधी नफरत के 6 हजार 300 से अधिक मामले रिकॉर्ड किए गए जो 2023 की तुलना में 43% ज्यादा हैं। लंदन और बर्मिंघम जैसे शहरों में मुस्लिम आबादी 15 से 20% के बीच पहुंच चुकी है। दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिन्सन ने लंदन में इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।
वहां लेबर पार्टी की सरकार है, जिसे अप्रवासियों का समर्थक माना जाता है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हिंसा, डर और बंटवारे का जो इस्तेमाल कर रहे हैं हम उनके आगे सरेंडर नहीं करेंगे। टॉमी रॉबिन्सन और लंदन में हुए इस प्रदर्शन को अमेरिकी कारोबारी इलॉन मस्क ने भी समर्थन किया। मस्क ने कहा अब यूरोप के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।