
शंघाई के पुडोंग हवाई अड्डे पर एक भारतीय महिला के साथ कथित बदसलूकी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली प्रेमा वांगजोम थोंगडोक ने आरोप लगाया है कि चीनी आव्रजन अधिकारियों ने न केवल उनके भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी कहा कि ‘अरुणाचल भारत का हिस्सा नहीं है’। इस घटना पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और चीन के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
महिला का कहना है कि अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को अमान्य करार दिया और उन्हें जापान जाने से रोक दिया। उन्होंने यह भी बताया कि अधिकारियों ने उनका मज़ाक उड़ाया और कहा कि उन्हें चीनी पासपोर्ट के लिए आवेदन करना चाहिए क्योंकि वे चीनी हैं। थोंगडोक, जो लगभग 14 वर्षों से यूके में रह रही हैं, लंदन से शंघाई के रास्ते जापान जा रही थीं।
इस “लंबे और अपमानजनक” अनुभव के बाद, उन्होंने भारत के शंघाई और बीजिंग स्थित दूतावासों से संपर्क किया। भारतीय अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें एयरपोर्ट पर सहायता प्रदान की और इस समस्या का समाधान निकालने में मदद की। इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें 18 घंटे लगे, लेकिन अंततः वे देश से बाहर निकल पाने में सफल रहीं।
वहीं, चीन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि व्यक्ति के कानूनी अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा की गई और कोई जबरन कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने दोहराया कि ‘ज़ंगनान’ (चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए प्रयुक्त नाम) चीन का क्षेत्र है और चीन ने कभी भी भारत द्वारा ‘अवैध रूप से’ स्थापित ‘अरुणाचल प्रदेश’ को मान्यता नहीं दी है। चीन का कहना है कि सीमा निरीक्षण अधिकारियों ने कानूनों और नियमों के अनुसार प्रक्रियाएं कीं और कानून प्रवर्तन निष्पक्ष और गैर-दुरुपयोगी था।
भारत ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय बातचीत के बाद संबंधों में कुछ सुधार देखा जा रहा था।





