अलकायदा और इस्लामिक स्टेट (ISIS) नहीं, चीन अब पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) नामक आतंकी संगठन से डरता है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) की बैठक में चीन ने तुरंत इस आतंकी संगठन पर कार्रवाई करने की मांग की। चीन का कहना था कि अगर इस आतंकी संगठन को नहीं रोका गया तो मध्य पूर्व से लेकर दक्षिण एशिया तक के देश बर्बाद हो जाएंगे। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, यूएन की बैठक में चीन के उप-स्थायी प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने कहा कि ETIM के हजारों आतंकी सीरिया में फिर से सक्रिय हो गए हैं। सीरिया में बूस्टर मिलने के बाद ये आतंकी अपने आस-पड़ोस में आतंक फैलाएंगे। इस पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए, अन्यथा स्थिति और खराब हो जाएगी। 1990 में हसन महमून ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ETIM की स्थापना की थी। इस आतंकी संगठन का उद्देश्य एक अलग तुर्किस्तान मुल्क बनाना है। काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संगठन का गठन चीन में उइगरों को अलग देश बनाने में मदद करने के लिए किया गया था। शुरुआत में इस आतंकवादी संगठन को अलकायदा से फंड मिलता था। 1999 में एक रूसी अखबार ने दावा किया था कि इसके आतंकवादियों को ओसामा बिन लादेन की देखरेख में ट्रेनिंग दी जा रही है। 2002 में इस आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया। 2003 में चीन ने पाकिस्तान की मदद से इसके संस्थापक हसन महमून की हत्या कर दी। 2010 में महमून के उत्तराधिकारी अब्दुल हक को भी चीन ने मार गिराया। इसके बाद से इस संगठन ने पर्दे के पीछे से गतिविधियां शुरू कर दीं, और उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की गई। 2008 से लेकर 2014 तक, ETIM ने चीन में कई बड़े हमले किए, जिनमें काशगर हमला, बीजिंग ओलंपिक से पहले अटैक, उरुमकी दंगे और कुनमिंग रेलवे स्टेशन का हमला शामिल है। इन हमलों में चीन के कम से कम 260 लोग मारे गए और 500 से ज्यादा घायल हुए। गेंग के मुताबिक, सीरिया में तख्तापलट के बाद ETIM के आतंकी सक्रिय हो गए हैं, और ये आतंकी धीरे-धीरे सीमा पार कर रहे हैं। चीन को डर है कि सीरिया के बाद ये आतंकी चीन में घुसपैठ करेंगे। 2020 के आंकड़ों के मुताबिक चीन के शिजियांग प्रांत में 1.7 करोड़ उइगर हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट शिजियांग प्रांत से होकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान जाता है।
चीन का वह आतंक जिससे डरता है, ETIM की पूरी कहानी
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