चीनी विदेश मंत्री वांग यी दो दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता के उपायों पर चर्चा करना है। यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले हो रही है, जिसे दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था। हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाली जगहों से सैनिक हटा लिए हैं, लेकिन स्थिति अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है। वर्तमान में, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
इस यात्रा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच व्यापार पर चर्चा करना भी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया है, जिसमें रूसी तेल खरीदने पर 25% का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। वांग यी भारत-चीन व्यापार पर भी बातचीत कर सकते हैं।
चीनी विदेश मंत्री भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दे पर विशेष बातचीत करेंगे। वांग और डोभाल सीमा वार्ता के लिए नामित विशेष प्रतिनिधि हैं। डोभाल दिसंबर 2024 में चीन गए थे, जहां उन्होंने वांग के साथ विशेष प्रतिनिधि वार्ता की थी।
वांग यी सोमवार शाम को नई दिल्ली पहुंचे और विदेश मंत्री एस जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता की। मंगलवार को उन्होंने NSA अजीत डोभाल के साथ वार्ता की। इन बैठकों में सीमा की स्थिति, व्यापार और उड़ान सेवाओं की बहाली जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके बाद चीनी विदेश मंत्री प्रधानमंत्री मोदी से भी मिले।
प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से चीन की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं, जहां वे बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेंगे। मोदी 2018 के बाद पहली बार चीन जा रहे हैं और प्रधानमंत्री के रूप में यह उनकी छठी चीन यात्रा है।