अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए फीस में वृद्धि की है, जिसे 6 लाख से बढ़ाकर 88 लाख कर दिया गया है। इसी बीच, चीन एक नया विकल्प लेकर आया है। रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि चीन ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में युवा और प्रतिभाशाली पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए एक नई ‘K वीजा’ श्रेणी शुरू करने का ऐलान किया है।

अगस्त में स्वीकृत यह निर्णय विदेशियों की देश में प्रवेश और निकास के प्रशासन संबंधी नियमों में संशोधन करता है, जो 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होगा। ज्यादातर लोग K वीजा को अमेरिकी H-1B का चीनी संस्करण कह रहे हैं, जिसे ऐसे समय में डिजाइन किया गया है जब दुनिया के बाकी देश वीजा शुल्क बढ़ा रहे हैं। चीन ने अपने देश में पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए यह वीजा शुरू किया है।
इस वीजा का उद्देश्य युवा और कुशल STEM प्रतिभाओं को चीन की ओर आकर्षित करना है। नया वीजा उन युवाओं के लिए है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में काम कर रहे हैं या पढ़ाई कर रहे हैं। आवेदन करने वालों को चीन सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होगा।
चीन का यह वीजा तेज और सस्ता है, और इसकी आवेदन प्रक्रिया भी आसान होगी। आवेदकों को अब किसी स्थानीय प्रायोजक या चीनी कंपनी की आवश्यकता नहीं होगी, पात्रता उनकी आयु, शिक्षा और कार्य अनुभव पर आधारित होगी।
चीन ने हाल के वर्षों में वीजा-मुक्त प्रवेश और ट्रांज़िट छूट भी बढ़ाई है। चीन का K वीजा एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, खासकर दक्षिण एशिया के लोगों के लिए।





