विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन पर एक बड़ा दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले 25 वर्षों में लगभग 1.5 लाख करोड़ डॉलर (131 लाख करोड़ रुपये से अधिक) का नुकसान हो सकता है। यह रिपोर्ट WEF और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) के संयुक्त शोध का परिणाम है।
इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के खाद्य और कृषि, निर्मित पर्यावरण, स्वास्थ्य और बीमा क्षेत्रों पर प्रभावों का आकलन किया गया है। आर्थिक नुकसान केवल पहले तीन क्षेत्रों से जुड़ा है, जिससे पता चलता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वास्तविक बोझ इससे कहीं अधिक हो सकता है। शोध में कंपनियों से अपने कार्यबल की सेहत की रक्षा करने, परिचालन में लचीलापन लाने और उत्पादकता की सुरक्षा के लिए अभी से कदम उठाने का आग्रह किया गया है ताकि जलवायु परिवर्तन से समय रहते निपटा जा सके। WEF के प्रमुख एरिक व्हाइट ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हर किसी को प्रभावित करेगा, लेकिन इससे बचा भी जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य और कृषि क्षेत्र में लगभग 740 अरब डॉलर, पर्यावरण में 570 अरब डॉलर और स्वास्थ्य क्षेत्र में 200 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, बीमा पॉलिसियों में स्वास्थ्य संबंधी दावों में वृद्धि हो सकती है।
रॉकफेलर फाउंडेशन के उपाध्यक्ष (स्वास्थ्य) नवीन राव ने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण लाखों नौकरियां असुरक्षित हो रही हैं या पूरी तरह से खत्म हो रही हैं, जिससे परिवार गरीबी में धकेल दिए जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कंपनियां जलवायु परिवर्तन के दौरान स्वास्थ्य अनुकूलन में जल्द निवेश करेंगी, वे जोखिमों को कम करने के साथ-साथ नवाचार और विकास के नए अवसर भी प्राप्त कर सकती हैं। कुछ कंपनियां इसे आपदा में अवसर के रूप में भी देख रही हैं।






