इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में यरुशलम में एक नई भूमिगत सुरंग का उद्घाटन किया, जिसके बाद फिलिस्तीन और दुनिया भर में हंगामा मच गया।
इस सुरंग के बारे में लोगों का कहना है कि यह एक साधारण पुरातत्व परियोजना नहीं है, बल्कि यरुशलम की पहचान बदलने और फिलिस्तीनियों को वहां से हटाने की कोशिश है।
यह सुरंग लगभग 600 मीटर लंबी है, जो यरुशलम के सिलवान मोहल्ले से शुरू होकर पश्चिमी दीवार के पास समाप्त होती है, जिसे बुराक की दीवार भी कहा जाता है। इजराइली सरकार और सिटी ऑफ डेविड नामक एक संस्था इसे एक पुरानी धार्मिक और ऐतिहासिक जगह बताती है, जबकि फिलिस्तीनी और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह खुदाई सीधे उनके घरों और मोहल्लों के नीचे हो रही है, जिससे उनके मकान कमजोर हो रहे हैं और अल-अक्सा मस्जिद को भी खतरा है।
अल-अक्सा मस्जिद को खतरा इसलिए है क्योंकि इजराइल जिस सुरंग की खुदाई कर रहा है, वह मस्जिद के बहुत नजदीक और उसके नीचे से होकर गुजरती है, जिससे जमीन धंस सकती है और मस्जिद की बुनियाद हिल सकती है।
अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो की उद्घाटन में उपस्थिति को अमेरिका द्वारा इजराइल का खुलकर समर्थन करने के रूप में देखा जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वी यरुशलम को एक कब्जा किया हुआ क्षेत्र घोषित किया है, लेकिन रुबियो की उपस्थिति से अमेरिका के इजराइल को हरी झंडी देने का संकेत मिलता है।
इस सुरंग को सिटी ऑफ डेविड नामक जगह से जोड़ा गया है, जिसका संचालन एलाद नामक यहूदी सेटलर संगठन करता है। इस संगठन पर फिलिस्तीनियों के घर खरीदकर या कब्जा करके उन्हें बाहर निकालने और इलाके को यहूदी बस्ती में बदलने का आरोप है।