
श्रीलंका चक्रवात ‘डितवाह’ की विनाशकारी लहरों में समा गया है, जहाँ अब तक 334 लोगों की दुखद मृत्यु हो चुकी है और 370 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। 16 नवंबर से जारी मूसलाधार बारिश और भयंकर मौसम के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन ने देश भर में तबाही मचाई है। आपदा प्रबंधन केंद्र (DMC) के अनुसार, इस आपदा से 11 लाख से अधिक लोग और लगभग 3 लाख परिवार प्रभावित हुए हैं।
देश भर में अलर्ट जारी किए गए हैं, और कोलंबो में एनडीआरएफ (NDRF) की टीमों ने प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य चलाया। भारतीय उच्चायोग ने कोलंबो में कहा कि वे श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ मिलकर बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। कोलंबो के जिला सचिव प्रसन्न गینیगे ने केलानी नदी के खतरे के स्तर को पार करने के कारण बाढ़ की चेतावनी जारी की है। प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों को विस्थापित लोगों के लिए राहत शिविरों में बदला जा रहा है। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिस्सानायक ने चक्रवात ‘डितवाह’ के कारण उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति को देखते हुए पूरे द्वीप में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
इस बीच, भारत ने अपने नागरिकों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। भारतीय वायु सेना (IAF) ने रविवार को कोलंबो से 300 से अधिक फंसे हुए भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला और तिरुवनंतपुरम लाया। IL-76 और C-130J जैसे विमानों को राहत सामग्री पहुंचाने के साथ-साथ नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भेजा गया था। तिरुवनंतपुरम पहुंचने वाले नागरिकों के लिए NORKA Roots ने विशेष बस सेवाओं की व्यवस्था की है, ताकि वे अपने घरों तक सुरक्षित पहुंच सकें। भारतीय वायु सेना के एमआई-17 वी हेलीकॉप्टरों और गरुड़ विशेष बलों ने भी बचाव अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई है। भारत आज भी बचाव कार्यों को जारी रखेगा।





