नेपाल, इंडोनेशिया, फिलीपींस और मेडागास्कर के बाद, अब मोरक्को एक और देश है जो Gen Z युवाओं के विद्रोह का सामना कर रहा है। यहां की सड़कों पर हजारों युवा उतर आए हैं। सितंबर के आखिरी हफ़्ते से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया है।
युवाओं की मांगें हैं – बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, मजबूत शिक्षा व्यवस्था, भ्रष्टाचार पर लगाम और रोजगार। वे खुद को GenZ212 कह रहे हैं। आइए समझते हैं कि इस देश में युवाओं का गुस्सा अचानक क्यों फूटा? और इस आंदोलन का नाम 212 क्यों रखा गया?
इस आंदोलन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके पीछे कोई राजनीतिक दल, नेता या यूनियन नहीं है। GenZ 212 और Morocco Youth Voice नाम के डिजिटल समूह इसकी अगुवाई कर रहे हैं। वे TikTok, Instagram, Discord और Facebook जैसे प्लेटफार्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले युवाओं ने खुद को GenZ 212 नाम दिया है। यहां GenZ का मतलब है 1990 के मध्य से लेकर 2010 के शुरुआती दशक तक जन्मे नौजवान, और 212 मोरक्को की राजधानी रबात का टेलीफोन एरिया कोड है। यानी यह आंदोलन पूरी तरह युवाओं का है, जिसकी जड़ें डिजिटल दुनिया से निकलकर सड़कों तक पहुंची हैं।
इस आंदोलन की असली चिंगारी सितंबर के मध्य में लगी, जब अगादिर के एक सरकारी अस्पताल में आठ गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई। वजह थी भीड़, स्टाफ की कमी और उपकरणों का अभाव। इस दर्दनाक घटना ने मोरक्को की स्वास्थ्य व्यवस्था की सारी पोल खोलकर रख दी।
देश में हर 10,000 लोगों पर सिर्फ 7.7 डॉक्टर हैं, जबकि WHO की गाइडलाइन 25 है। अगादिर जैसे इलाकों में यह संख्या और भी कम है – सिर्फ 4.4 डॉक्टर प्रति 10,000। इस हादसे ने ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा और सरकारी लापरवाही पर गुस्सा भड़का दिया।
युवाओं का गुस्सा सिर्फ अस्पतालों तक सीमित नहीं रहा। असली चिंगारी तब भड़की जब सरकार के फुटबॉल प्रेम और अरबों डॉलर के खर्चे की चर्चा सामने आई। मोरक्को सरकार ने 2025 अफ्रीका कप और 2030 FIFA वर्ल्ड कप के लिए 5 अरब डॉलर से ज्यादा स्टेडियम और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने का ऐलान किया। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र चरमराई हालत में हैं। यह गुस्सा खासकर उन ग्रामीण युवाओं में ज्यादा दिखा, जो 2023 के अल हौज़ भूकंप की तबाही से अब तक उबर नहीं पाए।
27 सितंबर से शुरू हुए प्रदर्शन पहले शांतिपूर्ण थे, लेकिन 1 अक्टूबर को हालात बिगड़ गए। कई शहरों में झड़पें हुईं। अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। 200 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी और 23 आम नागरिक घायल हुए हैं। 400 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई। 7 अक्टूबर से इन गिरफ्तार युवाओं पर मुकदमे शुरू होने वाले हैं।