अमेरिकी सरकार ने हाल ही में एक नया विज्ञापन जारी कर H1B वीज़ा प्रणाली के दुरुपयोग का आरोप लगाया है, जिसमें भारत को प्रमुख लाभार्थी बताया गया है। इस विज्ञापन के माध्यम से, अमेरिकी श्रम विभाग ने दावा किया है कि इस वीज़ा कार्यक्रम के व्यापक दुरुपयोग के कारण कई युवा अमेरिकियों ने अपनी ‘अमेरिकी सपने’ को पाने का अवसर खो दिया है, क्योंकि उनके स्थान पर विदेशी श्रमिकों को नियुक्त किया गया है।
यह विज्ञापन ‘प्रोजेक्ट फायरवॉल’ नामक पहल का हिस्सा है, जिसे सितंबर 2025 में शुरू किया गया था। इस पहल का उद्देश्य H1B वीज़ा के अनुपालन का ऑडिट करना और यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियां अमेरिकी श्रमिकों को कम वेतन वाले विदेशी पेशेवरों से प्रतिस्थापित न करें, खासकर प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में।
विज्ञापन में 1950 के दशक के अमेरिकी जीवन की पुरानी तस्वीरें दिखाई गई हैं, जिनकी तुलना वर्तमान रोजगार डेटा से की गई है। इसमें बताया गया है कि 72% H1B वीज़ा मंजूरियाँ भारतीय आवेदकों को जाती हैं। सरकार का कहना है कि वह कंपनियों को जवाबदेह ठहरा रही है और अमेरिकी नागरिकों के लिए रोज़गार के अवसर बहाल कर रही है।
यह कदम ‘अमेरिका फर्स्ट’ रोज़गार एजेंडा को फिर से जीवित करने के प्रयास को दर्शाता है, जिसमें घरेलू भर्ती पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है और वीज़ा ऑडिट को कड़ा किया गया है। इसके अतिरिक्त, हाल ही में गृह मंत्रालय ने बिडेन प्रशासन द्वारा पेश की गई एक नीति को पलट दिया है, जिसके तहत विदेशी गैर-आप्रवासी वीज़ा धारकों के लिए वर्क परमिट के नवीनीकरण हेतु अब पुनर्मूल्यांकन अनिवार्य होगा। यह बदलाव कई भारतीय श्रमिकों को प्रभावित कर सकता है।
 






