अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा युद्ध को समाप्त करने के लिए 20-सूत्रीय योजना प्रस्तुत की है। इस योजना पर इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है, लेकिन सभी की निगाहें अब हमास पर टिकी हैं। हमास इस डील को स्वीकार करेगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
इस डील को सऊदी अरब, जॉर्डन, यूएई, कतर, इंडोनेशिया, तुर्की, पाकिस्तान और मिस्र सहित मुस्लिम देशों ने समर्थन दिया है। कतर के प्रधानमंत्री और मिस्र के खुफिया प्रमुख ने हमास के वार्ताकारों से मुलाकात की और ट्रंप की डील के बारे में जानकारी दी। हमास के वार्ताकारों ने कहा कि वे इस डील की समीक्षा करेंगे और उसके बाद जवाब देंगे।
डील में बंधकों की रिहाई का प्रावधान है। यदि हमास डील स्वीकार करता है, तो सभी बंधकों को 72 घंटे के भीतर रिहा किया जाएगा। यदि हमास ऐसा नहीं करता है, तो इजराइल हमला करेगा और अमेरिका उसका समर्थन करेगा।
डील की शर्तों में हमास को हथियार छोड़ने और सुरंगों और हथियार निर्माण सुविधाओं को नष्ट करने की आवश्यकता है। हमास को भविष्य की सरकार में कोई भूमिका नहीं दी जाएगी। जो लड़ाके शांति से रहने के लिए सहमत होंगे, उन्हें माफी दी जाएगी। इजराइल की वापसी के बाद मानवीय सहायता और निवेश के लिए सीमाएं खोली जाएंगी। इस डील में 20 जीवित बंधकों और दो दर्जन मृत बंधकों के शवों की रिहाई के बदले गाजावासियों की रिहाई का प्रावधान है।
नेतन्याहू ने डील का समर्थन किया, लेकिन यह भी कहा कि अगर हमास इसका पालन नहीं करता है, तो इजराइल खुद कार्रवाई करेगा। नेतन्याहू ने यह भी संकेत दिया कि भले ही हमास डील स्वीकार कर ले, इजराइल गाजा से अपनी सेना को पूरी तरह से वापस नहीं लेगा।