इजराइल और अमेरिका, लेबनान सरकार पर हिजबुल्लाह से हथियार डलवाने का दबाव बना रहे हैं। इस दबाव के कारण, लेबनानी सरकार ने संसद में हिजबुल्लाह के निरस्त्रीकरण का कानून भी पारित किया है। इसके बाद हिजबुल्लाह भड़क गया है, जिससे देश में एक बार फिर गृह युद्ध जैसे हालात बनने की आशंका है। हिजबुल्लाह के संसदीय गुट ‘लॉयल्टी टू द रेजिस्टेंस’ के प्रमुख मोहम्मद राद ने अल-मनार टीवी को बताया कि अमेरिका और इजराइल लेबनानी सरकार पर अपनी मांगों को लागू करने के लिए दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि ‘समय उनके पक्ष में नहीं है।’ राद ने कहा, ‘प्रतिरोध की मौजूदगी ही उन्हें असल में परेशान करती है।’ उन्होंने चेतावनी दी कि प्रतिरोध को निरस्त्र करने का निर्णय दुश्मन के लिए आंतरिक स्थिरता से छेड़छाड़ का एक रास्ता खोल देगा और संभवतः इसका लक्ष्य इसे लेबनान-इजराइल की बजाय एक आंतरिक समस्या बनाना हो। इस बीच, लेबनान की सड़कों पर हिजबुल्लाह के समर्थकों की रैलियां हो रही हैं, जिससे देश में अशांति फैलने का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो गृह युद्ध भी छिड़ सकता है। राद ने दावा किया कि लेबनान सरकार देश तो चला सकती है, लेकिन दुश्मन का सामना नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि प्रतिरोध के हथियारों ने 1982 से 2025 तक लेबनान की रक्षा की है, उसे आजाद कराया है, विजय दिलाई है और दुश्मन की विस्तारवादी योजनाओं को विफल किया है। हिजबुल्लाह सांसद ने हथियारों को छोड़ना आत्महत्या के समान बताया है। साथ ही लेबनान सरकार के इस फैसले को जल्दबाजी और खतरनाक बताया है। राद ने कहा कि यह फैसला दुश्मन के लिए घरेलू स्थिरता के साथ छेड़छाड़ करने का मार्ग खोलेगा। उन्होंने आगे कहा, ‘अपने हथियार सौंप दो, कहना ‘अपना सम्मान सौंप दो’ कहने के समान है। हथियार सौंपना आत्महत्या है और हमारा आत्महत्या करने का कोई इरादा नहीं है। सेना से पूछिए कि क्या वे अपने हथियार सौंपेंगे, जो उनका सम्मान है? क्या वे हथियार सौंपकर दुनिया को हमारे साथ विश्वासघात करने का न्योता देंगे? अगर हम हथियार सौंप देंगे, तो हमारी संप्रभुता और हमारे देश की रक्षा कौन करेगा?’







